चाची की बुर में लंड Cachi ke Chut Me Lund

मेरा नाम शेखर है और मैं १८ साल का हूं. मैं अपने मम्मी पापा के साथ

मुंबई में रहता हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा जी की तबीयत खराब

हो गयी थी और वो मुंबई के हॉस्पिटल में भरती थे. इधर मेरी चाची जी को

गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव (उत्तर प्रदेश) चला

गया. चाचा की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद

से वो मुंबई में काम करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो

गाँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके

थे.

गाँव में पहुँचा तो मेरे दादा दादी जो कि चाचा जी के साथ रहते थे, अपने

किसी रिश्तेदार से मिलने ४-५ दिन के लिए चले गये और घर में सिर्फ़ मैं और

चाची अकेले रह गये.वैसे तो दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे

और चाची जी और दादीजी घर के अंदर, पर अब चाची जी ने कहा कि तुम भी अंदर

ही सो जाओ. रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के

दादीजी के कमरे में सोने चला गया. चाची बोली कि "लल्लाजी तुम मेरे ही

कमरे में आ जाओ, बात करते करते सोएंगे" मैंने कहा कि ठीक है और उनके कमरे

में चला गया.

चाची जी के कमरे में एक ही पलंग था और मैंने पूंछा कि आप कहाँ सोएंगी. वो

बोली कि मैं नीचे ज़मीन पर सो जाउंगी. मैंने कहा कि नहीं, आप पलंग पर सो

जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ. वो बोली नहीं तुम पलंग पर सो जाओ. मैं नहीं

माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है,

दिक्कत नहीं होगी. पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के

तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ. मैं दीवार के तरफ सरक गया और चाचीजी ने

लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा घंटा हम

लोग बात करते करते सो गये.

अब तक मैं सिर्फ़ चाचीजी को अपनी चाची के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी

जवान थी, लगभग २२-२३ साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी.

पर वहाँ चाचीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी

हलचल मची हुई थी. मेरा लंड एक खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ चाची की

जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैंने इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो

गया. लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं

तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए चाची के उपर से लाँघना पड़ता था.

लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था.

अंदाज़ से मैं उठा और चाचीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ

रखा तो जैसे करेंट लग गया. चाची जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी

थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. चाचीजी को कोई आहट नहीं हुई

और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद

मेरा मन फिर चाचीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.

मैंने सोचा की चाची तो सो रही है, अगर मैं भी तोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको

मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और

कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं चाची के बगल में लेट

गया. चाचीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा

दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं चाची के पास

सरक कर अपना एक हाथ चाचीजी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब

देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके

ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के

नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर

में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी

ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.

चाचीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़

ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मुंबई के बस और ट्रेन

में ना जाने कितने ही लड़कियों की चुची दबाई है मैने. मैंने सोचा कि अब

असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर चाचीजी की जाँघ पर रख दिया. मेरा

हाथ चाची की साडी पर पड़ा पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो

जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया चाची की नंगी जांघ मेरे स्पर्श

में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी चाची की। तभी मेरा स्पर्श पाकर चाचीजी ने

थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.

मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साडी भी

उपर होते जा रही थी. चाचीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन

अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ चाची के दोनो जांघों के बीच

में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि चाची की दोनो जाँघ आपस में उपर

सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी

मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में

घुसाने की कोशिश की. चाची फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक

पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.

मौके का फ़ायदा उठाकर मैंने भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की

मेरा अंगूठा अब मेरे चाची के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली

चाची के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. चाची

की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी

था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ चाची के बुर पर था और

कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. चाची की बुर तो

उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.

फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी

के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोडी और उनकी

जांघों के बीच में पैंटी को थोडा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी

उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम

गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से

घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से चाची के बुर में हिलाने लगा और

तीन चार बार हिलाने पर ही चाची जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से

सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा.

पर चाची ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी

देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने

का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब चाची मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे

दूर धकेल देंगी. पर चाची जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था.

उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते

अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर

सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब

उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि चाची जी चुप चाप

मज़ा ले रही है.

फिर भी मैं थोडा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर

सीधे उनके बुर पर रख दिया. चाची की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी

उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से

एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी

बीच की उंगली चाची के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी

उंगली मोडी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी चाची ने भी अब पैर और फैला

दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का

नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोडी और वो भी चाची की बुर

में पेल दी.

रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब चाचीजी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही

थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाँथ चाची की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं

बिल्कुल चाची के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया.

हमारी गाल आपस में छू गये और चाची ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके

होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे

होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ

बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.

उधर मेरी उंगलियाँ चाची की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और चाची भी

अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. चाची की गरम गरम

गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और चाची अब भी नींद

में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली

जवानी का खेल हो जाए. मैंने चाची की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर

से दबा दिया और साथ में चाची के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.

चाची के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोडा सा खुल गया. तुरंत ही

मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और चाची की बुर से हाथ निकाल कर

तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. "उह्ह... शेखर यह क्या रहा

है तू...छोड़ मुझे तू.. चाची ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने

भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से

जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब चाची ने मचलना बंद कर

दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. चाची बोली" शैतान कहीं के,

तुझे डर नहीं लगा मेरे साथ यह करते हुए ?"

मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी,

तब भी तुम्हारा रेप कर दूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर

यह भतीजा अपनी चाची के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ

चाची के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और

पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.

वो बोली "लल्ला रेप करने की क्या ज़रूरत है. तूने तो वैसे ही मुझे गरम कर

दिया है. अब तो मैं ही तेरा रेप कर दूँगी" बस अब क्या था. चाची जी ने

अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल

कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर चाची को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके

ब्लाउस के बटन खोलने लगा.

"आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान" मैंने ब्लाउस खोलते हुए

एकदम फिल्मी अंदाज़ में चाची से बोला. चाची ने भी उसी अंदाज़ में कहा,

"भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ"

सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउस को पकड़ कर साइड में कर दिया और चाची के

ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. चाची ने भी अब बेशरम हो कर

मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, "लल्ला क्या यह पैकेट नहीं

खॉलोगे"

उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल

में खड़ा करके उनकी ब्लाउस और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा

भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. चाची

को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब

में उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से

सहला रही थी.

कुछ देर बाद चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली" लल्ला नाश्ता

हो गया. अब डिनर हो जाए?"

मैं भी तैयार था, पूछा वेज या नॉन वेज ?"

वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो" यह कहते हुए चाची

ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया.

पेलते पेलते चाची एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर

लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.

चाची ने तभी अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ ले गयी और एक उंगली मेरी गांड

में घुसा दी. मैंने भी अपना एक हाथ चाची के गांड के पीछे ले जाकर उनकी

गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी चाची एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़

लिया. लल्ला और ज़ोर से चोदो...ऽउर छोड़ो ...बोलते बोलते वो आख़िर वो झड़

गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग १०-१५ झटकों

के बाद मैं भी चाची के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये

थे और में चाची के उपर ही पड़ा हुआ था.

कुछ देर बाद चाची उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका

था. चाची ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली " लल्ला, तुम्हारे साथ

जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को

मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी चाची ही हूं" मैंने भी

उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला" सबके सामने क्यों चाची, यहाँ पलंग पर

भी तुम मेरी चाची ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही

खाऊँगा. सब चाचाजी को ही मत खिला देना चाची हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे

अंडरवीअर में डाल दिया.