सबसे पहले मैं अपने पाठको को धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने मुझे ढेर
सारे मेल किये। आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे उत्साहित किया कि मैं आपको वो
दास्ताँ सुनाऊँ जो मेरा पहला-यौन-अनुभव था या यूँ कह लीजिये कि मेरी पहली
चुदाई !
दिसम्बर के महीने के आखिरी दिनों में पंजाब में बहुत से कश्मीरी आते हैं
यहाँ कारोबार के लिए, जिन्हें हम झाँगी कहते हैं।
जब कश्मीर बिल्कुल बर्फ से ढक जाता है और वहाँ का कारोबार ठप्प हो जाता
है तो ये कश्मीरी यहाँ आकर ऊनी कपड़ों का, शाल और कम्बल का स्टाल लगाते
हैं।
ऐसे ही दो झांगी ने हमारे यहाँ कमरा किराये पर लिया, एक अंजुम जिसकी उम्र
करीब 25 की और दूसरा मुश्ताक जिसकी उम्र 35-37 की थी।
उस वक़्त मेरी उम्र बीस साल थी, कॉलेज में बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी और
जवानी लुटने को बेताब थी। मेरे सीने के उभार मसले जाने को तरस रहे थे,
योनि में भी हलचल सी थी।
सुबह की चाय हम उन्हें देते थे। दो दिन तक तो छोटू मेरा छोटा भाई उन्हें
चाय देने गया। तीसरे दिन उसकी तबीयत ख़राब थी, इसलिए मैं उन्हें चाय देने
गई।
जैसे ही अंदर पहुँची, मुश्ताक बाथरूम में था और अंजुम बिस्तर पर सिर्फ
कच्छे में था। मुझे देख कर एकदम उठा और जल्दी से चादर ओढ़ ली।
मुझे हसीं आ गई और मैं शरमा कर भागती हुई नीचे आ गई पर मेरे अंदर हलचल सी
हो गई थी क्योंकि मैंने उसके कच्छे के अंदर फुफकारता हुआ नाग देख लिया था
और बार बार उसी के बारे में सोचती रही।
जब वो नौ बजे के करीब नीचे आया तो मेरी नज़रें उससे मिली, मैं फिर हँस पड़ी।
वो भी मुस्कुराता हुआ मेरे अंगों को नापने लगा। उसकी नज़र मेरे उभारों पर
टिकी हुई थी जिसे मैं भांप गई थी और मैं भाग कर अंदर चली गई।
उनके जाने के बाद मैंने अपने वक्ष को टटोला। उस वक़्त मैं 32 इंच की ब्रा
पहनती थी। उस दिन इनमें अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि उसकी गोलाइयों को
आज किसी ने बड़ी तीखी नज़रों से नापा था। सारा दिन मैं उसी के बारे मैं
सोचती रही, रात भर भी सो न सकी।
अगले दिन भी सुबह मैं ही चाय लेकर गई, वो भी मेरा इंतज़ार कर रहा था। जैसे
ही आई, वो पठानों जैसी आवाज़ में बोला- मेमसाब ! आप कल क्यों हँस रही थी
?
मैं चाय रख के भागने को हुई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने कहा- छोड़ो ! अगर नीचे जल्दी न गई तो घर वालों को शक हो जायेगा।
उसने कहा- मेम्शाब, एक बार गले मिल के किस तो दे दो !
और मुझे बाँहों में भर के बेतहाशा चूमने लगा।
मैंने कहा- अंजुम छोड़ो, तुम्हारा साथी आ जायेगा !
उसने कहा- रात को जब सब सो जायेंगे तब आओगी ?
मैंने कहा- यहाँ तुम्हारा साथी होगा ! कैसे आऊंगी ?
वो बोला- वो कम्बल लेकर सोया रहेगा, आओगी?
मैंने कहा- नहीं, मुझे डर लगता है ! अब छोड़ो मुझे !
उसने कहा- पहले वादा करो कि रात को आओगी !
मैंने कहा- अच्छा देखूँगी !
किसी तरह अपने को छुड़ा कर भाग आई लेकिन उसने मेरी चूचियों को स्पर्श कर
लिया था और मैं भी गर्म हो चुकी थी इसलिए मैंने भी आज अपनी जवानी लुटाने
का मन बना लिया था।
रात को जब वो आया तो उसने इशारे से मुझसे पूछा- आओगी ?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया। रात को साढ़े बारह बज़े जब सब गहरी नींद
में सो गए, मैं उसके कमरे में चली गई वो मेरा इंतज़ार कर रहा था।
उसने कहा- ओये जानेमन ! हम तुम्हारा कब से इंतज़ार करता है ! आ जाओ हमारा
कम्बल में !
फिर कम्बल में आने के बाद उसने अपनी बाँहों में जकड़ लिया। उसका दूसरा
साथी सोया हुआ था या सोने का नाटक कर रहा था। धीरे-धीरे उसने मेरी स्वेटर
और कमीज़ ऊपर सरका दी और मेरे पेट को चूमता हुआ ब्रा के पास तक होंठ ले
आया। पहले ब्रा के ऊपर हाथ फेरता रहा, फिर हल्के से ब्रा ऊपर सरका दी।
दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा। मैंने आँखें बंद कर ली और
मस्ती से भर गई।
मेरे चुचूक सख्त हो गए थे। फिर उसने मेरा दूध पीना शुरू कर दिया और दूसरे
चुचूक को हाथ से सहलाता रहा। मेरी योनि पूरी तरह गीली हो रही थी। मैं
पूरी गर्म हो गई थी और आँखें बंद की हुई थी। तभी मुझे एहसास हुआ मेरी एक
चूची तो अंजुम के मुंह में थी तो दूसरी भी कोई चूस रहा है।
मैंने आँखें खोली तो देखा मुश्ताक भी चूची-पान कर रहा था। मैं अब क्या
बोलती ! बल्कि और ज्यादा ही मस्त हो गई। अब आप ही बतायें कि जिसके दोनों
स्तन चूसे जा रहे हों वो कैसे सब्र कर सकती है। मैं तो स्खलित हो गई और
दोनों के बालों में हाथ फेरने लगी।
उन्हें भी पता चल गया कि मैं झड़ गई हूँ, मेरी सांसें तेज़ हो गई थी और
हल्की सी आवाज़ें भी निकाल रही थी और जोर जोर से उनके बालों को सहलाने
लगी थी। पहली बार ऐसा एहसास हुआ था, इससे पहले मैंने खुद ही अपने मम्मे
सहलाये थे पर आज दो व्यक्ति एक साथ मेरे चूचियों से खेल रहे थे, चूस रहे
थे, मैं जन्नत की सैर कर रही थी।
अब अंजुम ने वहां से मुंह हटाया और नीचे की तरफ ले जाने लगा। मुश्ताक ने
मेरे मम्मे चूसते हुए हाथ को नीचे ला मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया।
उसका कठोर हाथ में सलवार के अंदर मेरी पेंटी के ऊपर घूमने लगा।
मेरी योनि मचलने लगी, मैं फिर से गर्म होने लगी। तभी अंजुम ने मेरी सलवार
नीचे खिसका दी और नीचे से टांगों चूमता हुआ ऊपर आने लगा। मुश्ताक पेंटी
से हाथ हटा कर फिर मम्मे पर ले आया। अंजुम ने अपना मुँह मेरी पेंटी पर रख
दिया।
मैं अपनी हालत बता नहीं सकती !
तेज़ सांसों के साथ सिसकरियाँ भी निकलने लगी थी। एक व्यक्ति मेरे दोनों
मम्मो से खेल रहा था दूसरा मेरी योनि में हलचल पैदा कर रहा था।
तभी अंजुम ने अपने दांतों से मेरी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत पर हाथ
फिराने लगा। मैं गनगना उठी, ऊपर से नीचे तक सिहर उठी और कांपने लगी।उसने
एकदम से अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चीख निकल गई।
फिर उसने मुझसे पूछा- रीना तुमने पहले किसी से चुदवाया है ?
मैंने न में सर हिला दिया।
"तब तो बड़े प्यार और आराम से चोदना पड़ेगा !"
मुश्ताक मेरी ऊपर सरकी ब्रा का हुक खोल रहा था। ब्रा के खुलते ही उसने
मेरे ऊपर के कपड़े उतार दिए। मैं उनके सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी।
अंजुम ने मुश्ताक से कहा- भाई, क्या करें? यह अभी कुंवारी है, कहीं पंगा न पड़ जाए?
इसी से पूछ लो ! अगर शोर न मचाये तो ले लेंगे ! मुस्ताक ने कहा।
उसने मुझसे पूछा- करवाने का मन है ?
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी !
चीखोगी तो नहीं ना ?
मैंने ना में सर हिला दिया।
मुश्ताक ने कहा- हम जरा देख लें कि कितनी कसी है !
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैंने होंठों को भींच लिया, मेरी
चूत गीली हो गई थी पर फिर भी दर्द हुआ था।
अंजुम ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अपने लिंग को मुझे दिखाता हुआ पूछने
लगा- इसे ले लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाते हुए उसे स्वीकृति दे दी क्योंकि मै अब पूरा मज़ा
लेना चाहती थी।
अब अंजुम ने मेरी टाँगें फैला दी और धीरे से ऊँगली डाली और थोड़ी देर तक
उसे अंदर बाहर करता रहा।
मुश्ताक ने अपना पजामा उतार दिया और अपने लिंग को मेरे हाथ में दे दिया।
बीच-बीच में वो मेरे मम्मे भी मसल देता था और चूस भी लेता था और फिर अपना
लिंग पकड़ा देता था। मेरी आँखों में नशा सा छा गया था, मदहोश होती जा रही
थी मैं !
इसी बीच अंजुम ने अपना लिंग मेरी योनि के ऊपर रखा और एक धीरे से झटका मार
कर योनि में प्रवेश कर दिया।
मैंने आवाज़ को दबाते हुए हल्की चीख मारी- आ हह हह हाय मर गई, बहुत दर्द
हो रहा है अंजुम ! छोड़ दो !
उसने कहा- अभी ठीक हो जायेगा रानी ! थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो !
और उसके तीन चार झटकों ने ही मुझे फिर चरमसीमा पर ला दिया। मैंने मुश्ताक
का लिंग जोर से भींच दिया और सिमटती चली गई पर अंजुम मेरी लिए जा रहा था,
मेरा दर्द पहले से हल्का हो गया था पर इस दर्द में भी बहुत मज़ा आया।
अंजुम के झटके भी पहले से तेज़ हो गए थे। कुछ देर में उसने मेरी चूत को
कुछ गर्म सा एहसास करवाया यानि कि उसने अपना वीर्य मेरी योनि में उड़ेल
दिया। थोड़ी देर मेरे ऊपर लेटने के बाद वो हटा, मैं भी उठ कर बैठ गई। तभी
मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी जिस पर खून लगा हुआ था।
मैंने कहा- अंजुम देखो, तुम्हारे वहाँ से खून बह रहा है !
वो बोला- रानी, यह मेरा नहीं है, तुम्हारी चूत से बह रहा है, तुम्हारी
सील टूट गई है !
मैं यह देख कर रोने लगी तो दोनों मुझे समझाने लगे- बेबी, पहली बार सब के
साथ होता है ! घबराओ मत !
मुश्ताक मुझे प्यार करने लगा, पहले मेरे बालों को सहलाया फिर मुझे लिटा
दिया। अंजुम बगल में लेट गया, मुश्ताक मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरता मुझे
गर्म कर रहा था। रह रह कर वो मेरे गालों को, गले को, मम्मों को चूसता जा
रहा था।अंजुम बगल में लेटा रहा, मुश्ताक ने तो मेरे मम्मे चूस चूस कर लाल
कर दिए थे, मेरे चुचूक तन गए थे जिससे मुश्ताक को एहसास हो गया कि लड़की
गर्म है।
अब उसकी बारी थी मेरी लेने की !उसने कहा- मेरे ऊपर आओगी ?
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी !
उसने मुझे उठा दिया और नीचे लेट गया। फिर अपने लिंग की और इशारा कर के
कहने लगा- बेबी इसको थोड़ी देर के मुँह में डाल लो और चूसो !
मैंने मना किया तो कहने लगा- इससे अंदर डालने पर तुम्हें कम दर्द होगा !
इसका लिंग अंजुम से ज्यादा बड़ा लग रहा था, मैंने फिर उसका लिंग मुँह में
डाल लिया कुछ देर तक चूसती रही।
फिर उसने कहा- अब इसे अपनी फुद्दी में ले लो !
उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठाया और लिंग मेरी योनि में डाल दिया।
मैं चीख पड़ी, इसमें ज्यादा दर्द हुआ था क्योंकि एक ही बार में सारा का
सारा लंड मेरी चूत में समां गया था। पर थोड़ी देर में मैं दर्द के साथ मजे
भी लेने लगी थी। रात के ढाई बज चुके थे, ऊपर से चुदते हुए मैंने कहा- अब
मुझे जाने दो, बहुत समय हो गया है !
बस थोड़ी देर ! मेरा हो लेने दो !
मैं मस्ती से भरी हुई थी, हल्की आवाज़ें निकालती हुई फिर झड़ने वाली थी।
मुश्ताक ने तो बुरा हाल कर दिया था।
मैं झड़ गई, उसके सीने पर गिर गई और लिपट गई पर उसके झटके नीचे से चालू थे।
फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी टाँगें फैला कर ऊपर से मेरी लेने
लगा। यह बहुत बुरी तरह से मुझे चोद रहा था। अंजुम साथ में लेटा सब कुछ
देख रहा था। अब उसने भी मेरी चूचियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।
तीन बजने वाले थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं एक बार फिर
स्खलित हो गई तब कही थोड़ी देर में जाकर उसने तेज़ झटको के साथ मेरी चूत
में फव्वारा मारा और निढाल हो कर मुझसे लिपट गया।
मैंने कहा- अब मुझे जाने दो ! घरवालों के जागने का समय हो गया है।
दर्द बहुत हो रहा था, मुश्ताक से ब्रा की हुक लगवाई और किसी तरह सलवार
कमीज़ पहनकर लंगड़ाती हुई नीचे अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने देखा कि मेरी योनि से अभी भी खून निकल रहा था।
उसके कुछ दिन बाद तक यानि कि 3-4 दिन तक मैंने उनसे बात भी नहीं की। वो
नज़रें मिलाने की कोशिश करते रहे।
लेकिन चौथे दिन मेरा मन फिर मचलने लगा और इशारों में रात का आमंत्रण दे दिया।
करीब दो महीने वो हमारे यहाँ रहे और मैं हर दूसरे-तीसरे दिन उनसे चुदवाने
चली जाती थी।
जाने से पहले वो कह कर गए कि हम अगले साल भी आपके यहाँ आयेंगे पर वो फिर
कभी नहीं आये।
आपकी रीना !
- प्रेषिका : रीना
सारे मेल किये। आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे उत्साहित किया कि मैं आपको वो
दास्ताँ सुनाऊँ जो मेरा पहला-यौन-अनुभव था या यूँ कह लीजिये कि मेरी पहली
चुदाई !
दिसम्बर के महीने के आखिरी दिनों में पंजाब में बहुत से कश्मीरी आते हैं
यहाँ कारोबार के लिए, जिन्हें हम झाँगी कहते हैं।
जब कश्मीर बिल्कुल बर्फ से ढक जाता है और वहाँ का कारोबार ठप्प हो जाता
है तो ये कश्मीरी यहाँ आकर ऊनी कपड़ों का, शाल और कम्बल का स्टाल लगाते
हैं।
ऐसे ही दो झांगी ने हमारे यहाँ कमरा किराये पर लिया, एक अंजुम जिसकी उम्र
करीब 25 की और दूसरा मुश्ताक जिसकी उम्र 35-37 की थी।
उस वक़्त मेरी उम्र बीस साल थी, कॉलेज में बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी और
जवानी लुटने को बेताब थी। मेरे सीने के उभार मसले जाने को तरस रहे थे,
योनि में भी हलचल सी थी।
सुबह की चाय हम उन्हें देते थे। दो दिन तक तो छोटू मेरा छोटा भाई उन्हें
चाय देने गया। तीसरे दिन उसकी तबीयत ख़राब थी, इसलिए मैं उन्हें चाय देने
गई।
जैसे ही अंदर पहुँची, मुश्ताक बाथरूम में था और अंजुम बिस्तर पर सिर्फ
कच्छे में था। मुझे देख कर एकदम उठा और जल्दी से चादर ओढ़ ली।
मुझे हसीं आ गई और मैं शरमा कर भागती हुई नीचे आ गई पर मेरे अंदर हलचल सी
हो गई थी क्योंकि मैंने उसके कच्छे के अंदर फुफकारता हुआ नाग देख लिया था
और बार बार उसी के बारे में सोचती रही।
जब वो नौ बजे के करीब नीचे आया तो मेरी नज़रें उससे मिली, मैं फिर हँस पड़ी।
वो भी मुस्कुराता हुआ मेरे अंगों को नापने लगा। उसकी नज़र मेरे उभारों पर
टिकी हुई थी जिसे मैं भांप गई थी और मैं भाग कर अंदर चली गई।
उनके जाने के बाद मैंने अपने वक्ष को टटोला। उस वक़्त मैं 32 इंच की ब्रा
पहनती थी। उस दिन इनमें अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि उसकी गोलाइयों को
आज किसी ने बड़ी तीखी नज़रों से नापा था। सारा दिन मैं उसी के बारे मैं
सोचती रही, रात भर भी सो न सकी।
अगले दिन भी सुबह मैं ही चाय लेकर गई, वो भी मेरा इंतज़ार कर रहा था। जैसे
ही आई, वो पठानों जैसी आवाज़ में बोला- मेमसाब ! आप कल क्यों हँस रही थी
?
मैं चाय रख के भागने को हुई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने कहा- छोड़ो ! अगर नीचे जल्दी न गई तो घर वालों को शक हो जायेगा।
उसने कहा- मेम्शाब, एक बार गले मिल के किस तो दे दो !
और मुझे बाँहों में भर के बेतहाशा चूमने लगा।
मैंने कहा- अंजुम छोड़ो, तुम्हारा साथी आ जायेगा !
उसने कहा- रात को जब सब सो जायेंगे तब आओगी ?
मैंने कहा- यहाँ तुम्हारा साथी होगा ! कैसे आऊंगी ?
वो बोला- वो कम्बल लेकर सोया रहेगा, आओगी?
मैंने कहा- नहीं, मुझे डर लगता है ! अब छोड़ो मुझे !
उसने कहा- पहले वादा करो कि रात को आओगी !
मैंने कहा- अच्छा देखूँगी !
किसी तरह अपने को छुड़ा कर भाग आई लेकिन उसने मेरी चूचियों को स्पर्श कर
लिया था और मैं भी गर्म हो चुकी थी इसलिए मैंने भी आज अपनी जवानी लुटाने
का मन बना लिया था।
रात को जब वो आया तो उसने इशारे से मुझसे पूछा- आओगी ?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया। रात को साढ़े बारह बज़े जब सब गहरी नींद
में सो गए, मैं उसके कमरे में चली गई वो मेरा इंतज़ार कर रहा था।
उसने कहा- ओये जानेमन ! हम तुम्हारा कब से इंतज़ार करता है ! आ जाओ हमारा
कम्बल में !
फिर कम्बल में आने के बाद उसने अपनी बाँहों में जकड़ लिया। उसका दूसरा
साथी सोया हुआ था या सोने का नाटक कर रहा था। धीरे-धीरे उसने मेरी स्वेटर
और कमीज़ ऊपर सरका दी और मेरे पेट को चूमता हुआ ब्रा के पास तक होंठ ले
आया। पहले ब्रा के ऊपर हाथ फेरता रहा, फिर हल्के से ब्रा ऊपर सरका दी।
दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा। मैंने आँखें बंद कर ली और
मस्ती से भर गई।
मेरे चुचूक सख्त हो गए थे। फिर उसने मेरा दूध पीना शुरू कर दिया और दूसरे
चुचूक को हाथ से सहलाता रहा। मेरी योनि पूरी तरह गीली हो रही थी। मैं
पूरी गर्म हो गई थी और आँखें बंद की हुई थी। तभी मुझे एहसास हुआ मेरी एक
चूची तो अंजुम के मुंह में थी तो दूसरी भी कोई चूस रहा है।
मैंने आँखें खोली तो देखा मुश्ताक भी चूची-पान कर रहा था। मैं अब क्या
बोलती ! बल्कि और ज्यादा ही मस्त हो गई। अब आप ही बतायें कि जिसके दोनों
स्तन चूसे जा रहे हों वो कैसे सब्र कर सकती है। मैं तो स्खलित हो गई और
दोनों के बालों में हाथ फेरने लगी।
उन्हें भी पता चल गया कि मैं झड़ गई हूँ, मेरी सांसें तेज़ हो गई थी और
हल्की सी आवाज़ें भी निकाल रही थी और जोर जोर से उनके बालों को सहलाने
लगी थी। पहली बार ऐसा एहसास हुआ था, इससे पहले मैंने खुद ही अपने मम्मे
सहलाये थे पर आज दो व्यक्ति एक साथ मेरे चूचियों से खेल रहे थे, चूस रहे
थे, मैं जन्नत की सैर कर रही थी।
अब अंजुम ने वहां से मुंह हटाया और नीचे की तरफ ले जाने लगा। मुश्ताक ने
मेरे मम्मे चूसते हुए हाथ को नीचे ला मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया।
उसका कठोर हाथ में सलवार के अंदर मेरी पेंटी के ऊपर घूमने लगा।
मेरी योनि मचलने लगी, मैं फिर से गर्म होने लगी। तभी अंजुम ने मेरी सलवार
नीचे खिसका दी और नीचे से टांगों चूमता हुआ ऊपर आने लगा। मुश्ताक पेंटी
से हाथ हटा कर फिर मम्मे पर ले आया। अंजुम ने अपना मुँह मेरी पेंटी पर रख
दिया।
मैं अपनी हालत बता नहीं सकती !
तेज़ सांसों के साथ सिसकरियाँ भी निकलने लगी थी। एक व्यक्ति मेरे दोनों
मम्मो से खेल रहा था दूसरा मेरी योनि में हलचल पैदा कर रहा था।
तभी अंजुम ने अपने दांतों से मेरी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत पर हाथ
फिराने लगा। मैं गनगना उठी, ऊपर से नीचे तक सिहर उठी और कांपने लगी।उसने
एकदम से अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चीख निकल गई।
फिर उसने मुझसे पूछा- रीना तुमने पहले किसी से चुदवाया है ?
मैंने न में सर हिला दिया।
"तब तो बड़े प्यार और आराम से चोदना पड़ेगा !"
मुश्ताक मेरी ऊपर सरकी ब्रा का हुक खोल रहा था। ब्रा के खुलते ही उसने
मेरे ऊपर के कपड़े उतार दिए। मैं उनके सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी।
अंजुम ने मुश्ताक से कहा- भाई, क्या करें? यह अभी कुंवारी है, कहीं पंगा न पड़ जाए?
इसी से पूछ लो ! अगर शोर न मचाये तो ले लेंगे ! मुस्ताक ने कहा।
उसने मुझसे पूछा- करवाने का मन है ?
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी !
चीखोगी तो नहीं ना ?
मैंने ना में सर हिला दिया।
मुश्ताक ने कहा- हम जरा देख लें कि कितनी कसी है !
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैंने होंठों को भींच लिया, मेरी
चूत गीली हो गई थी पर फिर भी दर्द हुआ था।
अंजुम ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अपने लिंग को मुझे दिखाता हुआ पूछने
लगा- इसे ले लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाते हुए उसे स्वीकृति दे दी क्योंकि मै अब पूरा मज़ा
लेना चाहती थी।
अब अंजुम ने मेरी टाँगें फैला दी और धीरे से ऊँगली डाली और थोड़ी देर तक
उसे अंदर बाहर करता रहा।
मुश्ताक ने अपना पजामा उतार दिया और अपने लिंग को मेरे हाथ में दे दिया।
बीच-बीच में वो मेरे मम्मे भी मसल देता था और चूस भी लेता था और फिर अपना
लिंग पकड़ा देता था। मेरी आँखों में नशा सा छा गया था, मदहोश होती जा रही
थी मैं !
इसी बीच अंजुम ने अपना लिंग मेरी योनि के ऊपर रखा और एक धीरे से झटका मार
कर योनि में प्रवेश कर दिया।
मैंने आवाज़ को दबाते हुए हल्की चीख मारी- आ हह हह हाय मर गई, बहुत दर्द
हो रहा है अंजुम ! छोड़ दो !
उसने कहा- अभी ठीक हो जायेगा रानी ! थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो !
और उसके तीन चार झटकों ने ही मुझे फिर चरमसीमा पर ला दिया। मैंने मुश्ताक
का लिंग जोर से भींच दिया और सिमटती चली गई पर अंजुम मेरी लिए जा रहा था,
मेरा दर्द पहले से हल्का हो गया था पर इस दर्द में भी बहुत मज़ा आया।
अंजुम के झटके भी पहले से तेज़ हो गए थे। कुछ देर में उसने मेरी चूत को
कुछ गर्म सा एहसास करवाया यानि कि उसने अपना वीर्य मेरी योनि में उड़ेल
दिया। थोड़ी देर मेरे ऊपर लेटने के बाद वो हटा, मैं भी उठ कर बैठ गई। तभी
मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी जिस पर खून लगा हुआ था।
मैंने कहा- अंजुम देखो, तुम्हारे वहाँ से खून बह रहा है !
वो बोला- रानी, यह मेरा नहीं है, तुम्हारी चूत से बह रहा है, तुम्हारी
सील टूट गई है !
मैं यह देख कर रोने लगी तो दोनों मुझे समझाने लगे- बेबी, पहली बार सब के
साथ होता है ! घबराओ मत !
मुश्ताक मुझे प्यार करने लगा, पहले मेरे बालों को सहलाया फिर मुझे लिटा
दिया। अंजुम बगल में लेट गया, मुश्ताक मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरता मुझे
गर्म कर रहा था। रह रह कर वो मेरे गालों को, गले को, मम्मों को चूसता जा
रहा था।अंजुम बगल में लेटा रहा, मुश्ताक ने तो मेरे मम्मे चूस चूस कर लाल
कर दिए थे, मेरे चुचूक तन गए थे जिससे मुश्ताक को एहसास हो गया कि लड़की
गर्म है।
अब उसकी बारी थी मेरी लेने की !उसने कहा- मेरे ऊपर आओगी ?
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी !
उसने मुझे उठा दिया और नीचे लेट गया। फिर अपने लिंग की और इशारा कर के
कहने लगा- बेबी इसको थोड़ी देर के मुँह में डाल लो और चूसो !
मैंने मना किया तो कहने लगा- इससे अंदर डालने पर तुम्हें कम दर्द होगा !
इसका लिंग अंजुम से ज्यादा बड़ा लग रहा था, मैंने फिर उसका लिंग मुँह में
डाल लिया कुछ देर तक चूसती रही।
फिर उसने कहा- अब इसे अपनी फुद्दी में ले लो !
उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठाया और लिंग मेरी योनि में डाल दिया।
मैं चीख पड़ी, इसमें ज्यादा दर्द हुआ था क्योंकि एक ही बार में सारा का
सारा लंड मेरी चूत में समां गया था। पर थोड़ी देर में मैं दर्द के साथ मजे
भी लेने लगी थी। रात के ढाई बज चुके थे, ऊपर से चुदते हुए मैंने कहा- अब
मुझे जाने दो, बहुत समय हो गया है !
बस थोड़ी देर ! मेरा हो लेने दो !
मैं मस्ती से भरी हुई थी, हल्की आवाज़ें निकालती हुई फिर झड़ने वाली थी।
मुश्ताक ने तो बुरा हाल कर दिया था।
मैं झड़ गई, उसके सीने पर गिर गई और लिपट गई पर उसके झटके नीचे से चालू थे।
फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी टाँगें फैला कर ऊपर से मेरी लेने
लगा। यह बहुत बुरी तरह से मुझे चोद रहा था। अंजुम साथ में लेटा सब कुछ
देख रहा था। अब उसने भी मेरी चूचियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।
तीन बजने वाले थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं एक बार फिर
स्खलित हो गई तब कही थोड़ी देर में जाकर उसने तेज़ झटको के साथ मेरी चूत
में फव्वारा मारा और निढाल हो कर मुझसे लिपट गया।
मैंने कहा- अब मुझे जाने दो ! घरवालों के जागने का समय हो गया है।
दर्द बहुत हो रहा था, मुश्ताक से ब्रा की हुक लगवाई और किसी तरह सलवार
कमीज़ पहनकर लंगड़ाती हुई नीचे अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने देखा कि मेरी योनि से अभी भी खून निकल रहा था।
उसके कुछ दिन बाद तक यानि कि 3-4 दिन तक मैंने उनसे बात भी नहीं की। वो
नज़रें मिलाने की कोशिश करते रहे।
लेकिन चौथे दिन मेरा मन फिर मचलने लगा और इशारों में रात का आमंत्रण दे दिया।
करीब दो महीने वो हमारे यहाँ रहे और मैं हर दूसरे-तीसरे दिन उनसे चुदवाने
चली जाती थी।
जाने से पहले वो कह कर गए कि हम अगले साल भी आपके यहाँ आयेंगे पर वो फिर
कभी नहीं आये।
आपकी रीना !
- प्रेषिका : रीना