चलती ट्रेन की हकीकत Chalti Train Ki Haqeqat

हेल्लो दोस्तों… मेरा नाम शान हे. में चाची के घर से वापस नागपुर मेरे

कॉलेज जा रहा था. अचानक जाना हुआ इसलिए रिज़र्वेशन नही मिला. मैने सोचा

अकेला हूँ समान भी नही है जनरल में ही चला जाता हूँ. जनरल की भीड-भाड तो

आपको पता ही है. मैं एक्सप्रेस के जनरल बोगी मे

चढ़ा ही था की ट्रेन चल पड़ी. धक्का मुक्की करते करते हुए किसी तरह थोड़ी

सी जगह मिल गई. मैने राहत महसूस की. जहाँ मैं बैठा था मेरे दाये में एक

22-23 साल की महिला या यूँ कहिए की लड़की बैठी थी. पर शादीशुदा थी इसलिए

मैने महिला कहा।



पर शायद वो बहुत गरीब परिवार से थी जैसा की उसके कपड़े से लग रहा था. वो

विंडो के पास थी. और में उसके जस्ट साइड मे था और मेरे बाद एक 50साल का

बुड्डा बैठा था. ठंड का मौसम था इसलिए मेने उनसे कहा खिड़की बंद कर

दीजिए. उसने विंडो बंद कर दिया. शाम के लगभग 7:30 बज़ रहे थे. सभी यात्री

लगभग सोने ही लगे थे वो भी खिड़की पर सिर टीका कर सो गयी. मुझे भी नींद

लगी थी. पर ट्रेन के हिलने से उसकी जांघे मेरी जांघों से टकरा रही थी

अच्छा लग रहा था. थोड़ी देर मे झपकी लेते हुए मैने सिर उनके कंधे पर रख

दिया. फिर एकदम से होश आया और मैने सिर हटा लिया. उनको भी लगा मैने जान

बुझ कर नही रखा है इसलिए कुछ नही बोली. कुछ देर बाद फिर ऐसा ही हुआ मेने

फिर सिर हटा लिया. इस तरह जब 3-4 बार ऐसा हो गया तो वो बोली कोई बात नही

आप आराम से सिर रख लीजिए क्योंकि जब जब मेरा सीर से टकराता था उनकी भी

नींद खुल जाती थी।



मैं उनके कंधे पर सिर रख कर सो गया. मुझे पता नही था की नींद मे ही मेरा

लेफ्ट हाथ उनके जांघ पर था और ट्रेन के हिलने से उनकी कोमल जांघे रग़ड खा

रही थी. मैने अपना राईट हाथ उनके गले मे डाल दिया उसने मेरी हथेली पर

अपना सिर रख दिया. क्योकि विंडो से शायद उसे चोट लग रही थी. थोड़ी देर

बाद. मेरी नींद आधी खुली मैं अपनी पोज़िशन देख कर चौंक गया. पर मैं वैसे

ही पड़ा रहा क्योकि कुछ करने से वो जाग सकती थी. पर मुझे लगा शायद उसे भी

अच्छा लग रहा है।



फिर मैं सीधा होकर बेठ गया और उसका सिर अपने कंधे पर रख लिया उसने भी

आराम से अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया. इसी दौरान उसका गाल मेरे गाल से

टच हुआ मुझे तो झटका लगा. उधर मेरा लेफ्ट हाथ उसकी जांघों को रगड़ रही

थी. मेरा लंड पैंट के अंदर टाइट होने लगा और चुदाई का भूत मन मे जागने

लगा. मैने उसे साल ओढ़ने के बहाने अपना हाथ उसकी चुचियों पर रखा और शांत

हो गया की उसे लगे की मैने जान बुझ कर नही किया है. थोड़ी देर जब वो कुछ

नही बोली तो मेरा साहस बढ़ गया और मैं उसकी चुचियाँ हल्के से सहलाने लगा.

वो कुछ नही बोली और मेरी तरफ और सरक गई. मैने उसके मन की बात जान ली अपना

काम चालू रखा।

थोड़ी देर मे मैने उसका हाथ मेरे पैंट पर महसूस किया. वो पैंट के उपर से

मेरे लंड को सहला रही थी. मैने नज़र घुमा कर देखा सभी पॅसेंजर सो रहे थे.

मैने उसे अच्छी तरह अपने साल में छुपा लिया और उसकी साड़ी उपर कर दी और

उसकी पेंटी पर हाथ लगाया. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. वो मेरे पैंट का

ज़ीप खोल रही थी. तभी कोई स्टेशन आया हम लोग उसी तरह पड़े रहे. उस स्टेशन

पर बहुत सारे लोग उतर गये. शायद वो लोग जनरल पॅसेंजर थे. रात के 11:30 बज

रहे थे. ट्रेन चल पड़ी. अब सामने वाली सीट पर 4 पॅसेंजर थे और मेरे सीट

पर हम लोग और वही बुड्डा बेठा था. ट्रेन रुकने से सभी जाग गये थे. मैने

सामने वाले से पूछा आप लोग कहाँ उतरेंगे तो वो लोग बोले अगले स्टॉप पर.

तो बुड्डा बोला मुझे भी जगा देना भाई. मैने पूछा अगला स्टॉप कब आएगा तो

वो बोले 40मिनट बाद।



मैने शाल से एक हाथ उसके बेग से कंबल निकाल कर उन दोनो को पूरी तरह से ढक

लिया. 10 मिनट में फिर सभी सो गये. मैने अब उनसे नाम पूछा तो उसने अपना

नाम सुनीता बताया और बोली उसका पति मुंबई में रिक्शा चलाता है और शादी के

अभी 8 महीने ही हुए हैं. सास से नही बनती थी इसलिए अपने मायके जा रही हूँ

जो नागपुर से 5-6स्टॉप पहले है और शायद 3:30 बजे आएगा. मैने पूछा सुनीता

तुम्हे सब बुरा तो नही लग रहा है. वो बोली अच्छा लग रहा है साहब मेरे पति

ने तो आज तक मुझे तन का सुख नही दिया. दारू पीकर आता है और सो जाता है और

वो रोने लगी मेने उसे सिने से लगा लिया और बोला रो मत. फिर मैं उसकी

चूचिया दबाने लगा।

सुनीता : आ..आ.. सी…सी…तोड़ा धीरे साहिब….

मैं : ब्लाउस खोल दूँ…

सुनीता : खोल दीजिए साहब….

मैने ब्लाउस खोल दिया अंदर बहुत ही टाइट ब्रा पहन रखी थी जो मुझसे खुल

नही रही थी. फिर उसने हाथ पीछे करके ब्रा खोल दिया. मैं उसकी चुचियों को

सहलाने लगा और वो मेरे लंड को प्यार से सहला रही थी. जब मैं उसके निप्पल

को पकड़ता था तो उसके मूह से उई…आ…ईईईईईई निकल जाती थी।

सुनीता : साहब मैं आपका लंड मूह में लू? मैने कहा हां ले लो और चूसो… वो

मेरा लंड चूसने लगी और मैं अपना हाथ पीछे ले जाकर पैंटी उतार दी और चूत

पर रखा. उसकी चूत गर्म थी और उस पर घने बाल थे. पूरी चूत और बाल गीले थे.

मेरा पुरा हाथ गीला हो गया. मैने अपना हाथ सूंघ कर देखा क्या खुशबू थी.

फिर मिने उसके चूत का पानी चाट लिया सच कहता हूँ मज़ा आ गया. तभी सामने

वाले ने बुड्ढे से कहा चाचा जी चलो बैतूल आ गया. हम दोनो जैसे थे वैसे ही

पड़े रहे. थोड़ी देर मे जब ट्रेन चली तो करीब पूरा कंपार्टमेंट खाली था।

मैं : सुनीता कभी किसी से चूत चुसवाई हो…

सुनीता : नही साहब…

मैं : आज मैं चूसता हूँ…

सुनीता : साहब दर्द तो नही होगा…

मैं : बहुत मज़ा आएगा… तुम्हे मेरा लंड चूसने मे मज़ा तो आ रहा है ना…

सुनीता : बहुत मज़ा आ रहा है साहब… आपका लंड तो बहुत बड़ा है (9") मेरे

पति का तो बहुत ही छोटा है…

मैं समझ गया की लड़की सेक्स की भूखी है. मैने 69 का पोज़िशन बनाया और

चालू हो गये. मैने उसके बालों को हटाकर दोनो हाथों से चूत के दोनो होंठो

को अलग किया और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी. साहब क्या कर रहे हो?

मैने उसका सिर पकड़कर अपने लंड पर दबा दिया. अब वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरा

लंड चूसने लगी. मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी देर मे उसने पानी छोड़

दिया. मैने उसके चूत के एक एक बूँद रस को चाट लिया. फिर मेरे लंड ने पानी

छोड़ा तो मूह हटाने लगी. शायद उसे अच्छा नही लग रहा था. मैने उसका सिर

पकड़ कर लंड पर दबा दिया और कहा क्या कर रही हे इस अमृत के लिए तो

लड़कियाँ मरती हे और तुम बर्बाद कर रही हो…

फिर वो पूरा वीर्य पी गयी और बोली. साहब ये तो बहुत अच्छा लगा. फिर हम

दोनों ने एक ही बाथरूम मे जाकर पेशाब किया और वहीं एक दुसरे को फिर से

गर्म करने लगे. में उसके टाँगों के नीचे बैठकर उसकी चूत पीने लगा. थोड़ी

देर बाद वो बोली क्या करते हो साहब अब तो अपने लंड का स्वाद मेरी चूत को

चखाओ… मेने उसका एक पैर उपर करके अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और हल्का सा

धक्का मारा उसकी चीख निकल गई उउउइईईईईई साहब मर जाउंगी निकालो नाआआअ…

मेने उसका होंठ अपने मूह मे ले लिया और एक जोरदार धक्का मारा इस बार उसकी

चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया. उसके मूह से सिर्फ़ हु.. हु.. की

आवाज़ निकली।

थोड़ी देर मे उसकी चूत में रास्ता बन गया और मेरा लंड आसानी से आ जा रहा

था. अब उसे भी मज़ा आ रहा था पर उसने कहा साहब पैर दर्द कर रहा है… मैने

उसे कमोड पर बिठा दिया और चोदना चालू किया और वो साहब ओर और सी… मेरी चूत

को फाड़ डालो साहब… बहुत मजा आ रहा है… आआहह.. ऊहह.. चोदो साआआहब मेरी

चूत की प्यास बुझा दों… मैं भी जोश में आकर झठके मारने लगा वो भी गांड

उचकाने लगी. 10 मिनट बाद साहब और तेज… मेने समझ लिया वो झड़ने वाली है.

मैने स्पीड बढ़ा दिया. फिर हम दोनो एक साथ झडे उसने मुझे कसकर अपने सिने

से लगा लिया और तभी छोड़ा जब मेरा लंड सिकुड कर छोटा होकर उसकी चूत से

निकल गया।

फिर उसने पानी से मेरा लंड धोया फिर अपनी चूत साफ की और हम लोग सीट पर

आकर कपड़े पहनकर बैठ गये. सर्दी में भी हम लोग पसीने पसीने हो गये थे.

थोड़ी देर में मुझे नींद आ गई और मैं उसके गोद में सिर रख कर सो गया.

मेरी नींद को चाय वाले ने तोड़ा. मैने देखा वो लड़की नही थी. मैने चाय

वाले से पूछा भैया गाड़ी कहाँ खड़ी है… वो बोला साब नागपुर से एक स्टेशन

पहले… मैं रात की बात याद करके मन ही मन मुस्कुराने लगा।