दोस्त की माँ की जवानी लूटी sex story hindi

हाय दोस्तो मैं आपका आदि आपके सामने अपनी एक कहानी दे रहा हू. ये बात उन

दिनों की है जब मेरा कोलेज चालू था. मेरा एक दोस्त था महेश. मैं अक्सर

उसके घर जाया करता था. महेश की माँ को देखकर मूझे कुछ कुछ होता था.

क्योंकी वो दिखने मैं ही गजब की थी. थोड़ी सावली थी.



लेकिन उसकी बॉडी एकदम खूबसूरत थी.के मानो देखकर लगेगा की ही नही की इसके

2 बच्चे हैं. और एक तो मेरी उमर का. तो मेरे मन मे महेश की माँ के साथ

सेक्स करने की चाहत थी. मेरा दिल बार बार उनके बारे मे ही सोचने लगा.



अब मैं भी ज़्यादा से ज़्यादा महेश के घर पर जाने लगा और आँखो से ही उनके

साथ सेक्स करने लगा. और जब खास कर के महेश जब कही बाहर गया होता है तो

मैं उसके घर पे जाकर उनसे जानबूझ कर पूछता की महेश कहा हैं. तो महेश की

माँ यानी गीता आंटी कहती की वो तो बाहर गया हैं. तब मैं कहता की मैं बैठ

कर उसका वेट करता हूँ. और घर मे बैठकर महेश की माँ को घूरने लगता जब उनकी

निगाहे मुझपे पड़ती तो मैं नज़रे हटा लेता ऐसे ही महीने भर चलता रहा.

और एक दिन ऐसे ही अभी के घर पर बीता था. तो गीता आंटी ने कहा ज़रा मेरा

एक काम करोगे मैने झट से कहा क्या काम हैं तो आंटी ने कहा ज़रा बेड सरकना

हैं उसके नीचे सफाई करनी हैं. महेश को कहती हू. तो वो भाग जाता है.

मैने कहा चलिए किधर सरकाना हैं. तो मैं उनके बेडरूम मे चला गया और एक तरफ

से ज़ोर से बेड को धकेलने लगा. मैने कहा आंटी आप भी धकेलिए भारी है. तब

आंटी भी धकेलने लगी और बेड को धकेलते वक्त आंटी का पल्लू गिर गया और उनके

भारी भरकम बोब्स ब्लाउज मे से ज़रा नज़र आए. मैं यह देखकर तो पागल हो गया

बेड को धकेलने के बाद आंटी ने झाड़ू लिया.

और वो फर्श साफ करने लगी. अभी भी उनका पल्लू नीचे ही था. उनका ध्यान ही

नही था और मेरी नज़र उनके बोब्स पर टिकी हुई थी. ऐसा लग रहा था के अभी

जाकर उनको दबोच लू पर क्या करे डर लग रहा था. तभी आंटी की नज़र मुझपे

पड़ी और बाद मे उनके ब्लाउज पर तब उन्होने झट से पल्लू उठाकर बोब्स को ढक

दिया और तभी मैने कहा आंटी आप स्कूल के टाइम बहुत ही खूबसूरत लगती होंगी

ना तभी आंटी ने कहाँ हा लेकिन तुम ये सब क्यों पूंछ रहे हो

मैने कहाँ ऐसे ही क्योकि अभी भी आप बहुत ही सुंदर दिखती हो इसलिए पूछा .

मेरा लंड तो तनकर टाइट हो गया था. तभी आंटी ने कहा ज़रा स्टूल पकड़ना मैं

ऊपर का ज़रा साफ करती हू. स्टूल की हाईट ज़्यादा नही थी. आंटी स्टूल पर

चढ़ गयी.

अब उनकी भरी भरी हुई हिप्स मेरे आँखो के सामने थी और मेरा मन करा रहा था.

की अभी इनको काट लू तभी अचानक मेरा एक हाथ जो स्टूल को पकड़े था आंटी के

पैर पर आ गया. मेरी तो जान निकल रही थी मैने आहिस्ते से उस पैर को सहलाया

आंटी अपना काम कर रही थी.

मैने अपनी नाक से आंटी की हिप्स को टच किया गजब का एहसास था. वो तभी आंटी

बोली आदि स्टूल पर से भी ऊपर की जैल नही निकल रही है., तो क्या करे बड़ा

स्टूल भी नही और तुम्हारी हाईट भी सेम मेरे जितनी है. क्या करे चलो रहने

दो वैसे हि बाद मे निकाल लूँगी. बडा डंडा लाकर तभी मैने कहा आंटी बाद मे

क्यों अभी सफाई चल ही रही अहीं तो अभी निकाल लेते है. आंटी ने कहा कैसे

मैने कहा 1मिनिट रूकिए.

और मैं भी स्टूल पर चढ़ गया. आंटी ने कहा अरे आदि गिर जाएँगे दोनो मैने

कहा नही आंटी नही गिरेंगे और गिर भी गये तो बेड पर ही गिरेंगे. तो आंटी

ने कहा ठीक हैं. लेकिन अब क्या तेरा भी तो हाथ नही पहुँच रहा मैने कहा

मैं आपको उठा लेता हूँ. फिर आप साफ कीजिए और मैने आंटी को हाथो से ऊपर

उठा लिया.

अब उनकी चूत मेरे सामने थी. और मेरे हाथो ने उनके हिप्स को कस कर के

पकड़ा हुआ था. और मेरा लॅंड तो पेंट फड़कर बाहर आने को बेताब था. आंटी के

घुटने मेरे लंड को टच कर रहे थे. उनको मेरे लंड के तनतनने का एहसास हो

गया था. तभी मैने अपना मुँह आंटी की चूत पर टीका दिया और साडी के उपर से

ही उस खुशब का मज़ा लेने लगा.

मेरा एक हाथ उनके हिप्स को मसल रहा था. तभी ना जाने क्या हुआ हम बेड पर

गिर गये. तब तो मैने और ज़ोर से अपना सिर उनकी जाँघो मे घुसा दिया. बेड

पर आंटी मेरे नीचे थी और मेरा लंड उनकी जाँघो को दबा रहा था. और मेरा

मुँह उनके चूत को दबा रहा था. तभी मेरे मन मे आया की यही सही मौका है.

इतने मै मैने अपना एक हाथ उनके बोब्स पर रख दिया.

शायद आंटी भी गरम हो चुकी थी. क्योकी वो एकदम शांत पड़ी हुई थी. तभी मेरी

हिम्मत और बढ़ी और मैं पूरा आंटी के उपर चढ़ गया. उनकी आँखे बंद थी और

साँसे बहुत तेज हो गई थी. मेरी भी साँसे तेज हो गयी थी. कान जैसे गरम

लोहे की तरह तप रहे थे. मैने अपने एक हाथ से उनके बोब्स को मसलाना चालू

किया और दूसरे हाथ से उनकी साडी को उपर करने लगा.

साडी को ऊपर करके उनकी पेंटी के अंदर उनकी चूत को सहलाने लगा. मैने अपनी

एक उंगली उनकी चूत मे डाल दी. और उनकी चूत तो अंदर से चिपचिपी हो चुकी

थी. मेरी उंगली उनकी चूत मे अन्दर बाहर हों रही थी. तभी मैने अपना हाथ

निकल दिया और उनकी पेंटी को खींचने लगा तभी आंटी ने तोड़ा चूतड़ उठा

दिया. और मैने पेंटी को निकाल दिया और फिर मैने उनकी साड़ी को खींचना

चाहा तो उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैं समझ गया की वो नही चाहती की उनकी साडी भी उतार दू. फिर मैने उनके

ब्लाउज को खोल दिया और उनके बोब्स को देखकर दंग रह गया. और मैं उनको

चूसने लगा जैसे के भूखा शेर वो कसमसने लगी फिर मैं उठ गया. अब मूझसे

कंट्रोल नही हो रहा था. मैने अपनी पेंट और अंडरवियर निकाल दी. और मेरे

तने हुए लंड को उनकी चूत के मूहँ पर रख दिया.

और आंटी के उपर लेट कर उनके कान को दांतों से काटा और कहा आंटी डालू अंदर

तो उन्होने सिर्फ़ कहा उई अम्मा और मैने एक धक्का लगाया और मेरा आधा लंड

आंटी की चूत मे चल गया. तो उन्होने मेरी पीठ को कसके पकड़ा और मुझे दबोच

लिया मैने दूसरा धक्का लगाया. और मेरा पूरा लंड आंटी की चूत मे समा गया.

मैने आंटी के लिप्स को चूसना चालू किया और कहा अब तो आँखे खोलिए.

आंटी ने कहा अभी नही तो मेरे मन मे एक आइडिया आया. मैने ज़ोर ज़ोर से

धक्के लगाना चालू किया और थोड़ी देर मे रुक गया. तभी आंटी बोली क्या हुआ

मैने अपना लंड जल्दी बाहर निकाला और कहा पहले आँखे तो खोलिए. तब आंटी ने

ना ना कहते हुए आँखे खोली और मेरा मोटा तना हुआ लंड देखा तो वो एकदम से

उठ गयी. और मेरा लंड अपने मुँह मे धर लिया. और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

तब मैने कहा आंटी मेरा पानी आपके मुँह मे ही निकल जाएगा.

तब आंटी रुक गयी और मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला. तो वो आंटी की

थूक से चिपचिपा हो गया था. आंटी ने कहा आदि तुम्हारा इतना तगड़ा लंड मैं

भला छोड़ूँगी. और पानी निकल गया तो निकालने दे उस पानी का मज़ा तो कुछ और

है. अच्छा एक काम करो तुम नीचे सो जाओ. मैं नीचे हो गया और आंटी मेरे ऊपर

बैठ के बोली तूम मेरी चूत को चटकार उसका पानी निकल लो. मैं तुम्हारे लंड

का पानी पी जाती हू. तब मैने कहा आंटी लेकिन जल्दी करना पड़ेगा क्योकी

महेश के आने का टाइम हो गया है.

तब आंटी ने कहा अरे हाँ मैं तो भूल गयी थी. की मेरे 2 बच्चे भी है और तू

मेरे बेटे का दोस्त है. चलो अब तुम भी जल्दी करो देखते हे की कौन जल्दी

पानी छोड़ता है. तो आंटी और मैं 69 की पोज़िशन मे मजा लेने लगे. आंटी

मेरे लंड को बेहतशा ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी. और मैं अपने मुँह

और जीभ से आंटी की चूत मे टोपी पर कर रहा था. आंटी बीच बीच मे आहह…………

हूउ………….. न कर रही थी. और मेरे लंड को आहिस्ता आहिस्ता काट रही थी.

मैं भी पसीने मे तर होकर आंटी की चूत को चाट रहा था. और 5-6 मिनट मे ही

आंटी की चूत मे से गरम गरम रस निकालने लगा और आंटी ज़ोर से अपनी चूत को

मेरे मुहँ पर रगड़ने लगी. मूझे साँस लेने को नही मिल रही थी. लेकिन फिर

भी मैं उनकी चूत को चाट रहा था. और उस रस को पी रहा था. इधर आंटी मेरे

मुहँ पर चूत को रगड़ते हुए मेरे लंड को पूरा का पूरा अंदर दसा कर बाहर

निकाल रही थी.

और थोड़ी देर मे मेरे लंड मे से गरम लावा निकला और आंटी के मुँह मे गया

और आंटी वाहा कर कर मज़े से उसको पी रही थी. और फिर आंटी ने पूरा लंड चाट

कर सफ कर दिया. और उठ गयी और कहा चलो अब उठ जाओ बात रूम मे चलो मैं भी उठ

गया. और बातरूम मे जाकर सब ठीक ठाक कर आ गया. तब आंटी अपनी साडी ठीक कर

रही थी. मैने पीछे से जाकर आंटी को पकड़ लिया.

तब आंटी ने कहा अब भागो यहा से तब मैने कहा आंटी आपकी चूत को तो आधे ही

मे छोड़ दिया हैं तब आंटी ने कहा अब तो ये चूत ही नही पूरी आंटी ही तेरी

है. जब मौका मिलेगा तब चोदना इसे। और मैं जाने लगा. तब आंटी ने कहा ऐसे

ही जाओगे बाय नही करोगे.

मैने कहा बाय तो आंटी मेरे करीब आई और मूझे पकड़कर मेरे होंटो कस कर चूसा

और कहा ऐसे बाय करते हैं. पागल चल अब जा लेकिन ये बात किसी को नही पता

चलनी चाहिए समझे। मैने हाँ मे सर हिलाया और मै खुश होकर आंटी के घर से

बाहर निकला दूर जाते ही महेश मिला तब महेश बोला अरे आदि तू कब आया मैने

कहा 5 मिनट पहले आया और जा रहा हूँ. तुम तो घर मे रहते नही तो क्या करे

तब महेश बोला चलो घर चले मैं तो यही चाहता था.

और महेश के साथ फिर उसके घर पहुँच गया. तब आंटी ने ह्में देखा और महेश से

कहा अच्छा हुआ महेश बेटा इसे वापिस ले आया आज कल बहुत नखरे कर रहा हैं.

मैने कहा चाय बना दू तो भाग गया यहा से और आंटी ने एक स्माइल दी मैंने मन

मे ही कहा क्या अदा हैं. महेश तो 10 मिनट पहले जिसने गरमा गरम चाय की

बजाए गरमा गरम लावा पिया हो तो चाय कौन पिएगा भला मैं भी खुश हो गया.

और कहा आंटी चाय पीना मुझे अच्छा नही लगता. हम ऐसे ही बैठे थे तभी आंटी

ने कहा बेटा महेश तुम अपनी पेकिंग कर लो तुम कल अपने पापा के साथ नीलम को

लेने के लिए जा रहे हो उधर 8-9 दिन रहना पड़ेगा. मैं ये बात सुनकर इतना

खुश हुआ था. की बयान नही कर सकता मन की खुशी छुपाते हुए मैने आंटी की तरफ

देखा तो आंटी ने अपना एक होंठ दाँत से काट लिया. मैं डर गया और तभी वों

हसने लगी और कहा बेटा आदि तुम भी जाओ महेश के साथ मैने डरते हुए कहा.

नही आंटी मेरा थोड़ा होमवर्क बाकी पड़ा है और एग्जाम भी नज़दीक आ गये

हैं. अच्छा महेश मैं चलता हूँ. और मैं दरवाजा खोलकर जाने लगा तो आंटी ने

हँसकर कहा बाय नही कहोगे मैने मन मे कहा की बाय कल करूँगा और तुम

उउउइईईई……… उउईईईई…….. भी करोगी. तभी मैने कहा बाय महेश बाय आंटी और मैं

खुश होकर वहाँ से बाहर निकाला. तो कैसी लगी आपको मेरी कहानी मुझे जरुर

बतायें . . .

धन्यवाद