सासू माँ की तड़प hindi sex story

प्रेषक : राजेश

मेरा नामे राजेश है और मैं शादी शुदा लड़का हूँ. तो सबसे पहले मैं आप सब

लंड वालो ओर चूत वालीओं को अपने खड़े लंड का नमस्कार देता हूँ तो अब मैं

अपनी स्टोरी पे आता हूँ. ये कहानी मेरी और मेरी मदर इन लॉ [सासू माँ] के

बीच जो हुआ वो हकीकत है

झूठ का 1 % भी नाम नही 100% सत्य है. हाँ मैं आपको बताना भूल गया मेरे

लंड का साइज़ 10 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा जो मेरी सबसे बड़ी पहचान है

मेरी शादी 23 साल की उम्र में हो गयी. वैसे मेरी बीवी काफ़ी खूबसूरत और

भोली है पर चोदने में अपनी माँ से कोसों दूर है. मेरी मदर-इन-लो, जिन को

की प्यार से में सासू माँ कहता हूँ,

दिखने में एकदम माल और भगवान ने वासना तो कूट-कूट कर भरी है. मुझे अपनी

किस्मत पर ऐकिन नहीं होता की मुझे कभी अपनी वासना की भूख मिटाने को अपने

आस पास कोई कमी नहीं पड़ी. मेरी सास जिनका की नाम रामकौर है, में शादी

के बाद से देखता आया हूँ वो बहुत सेक्सी लगती हैं.

वो 4 बच्चो की माँ है पर दिखने मे अपनी 22 साल की बेटी की बड़ी बहिन लगती

हैं. भगवान ने भी हर जगह में माँस (फ्लेश) दिया है वैसे तो जब मेरा

रिस्ता उनकी बेटी से तय हुया था, तब से ही मुझे इशारों मैं किसी ने बताया

था और एक आस दी थी, की बेटा तू बड़ा किस्मत वाला होगा अगर तू ये शादी के

लिये हाँ कर देगा.

शादी से ही मेरी सास का हमारे घर पर काफ़ी आना जाना था. मेरी नज़रें हर

वक़्त उनके बोब्स पर टिकी रहती. माँ कसम क्या गोलाई हैं उनके बोब्स की.

मेरे हाथ उन्हें पकड़ कर दबाने के लिए तरसते थे और मेरी जीब हमेशा उन्हें

चूसने के लिये ललचाती रहती.

जब में 21 साल का हुआ तो वो अपनी 19 साल की बेटी का रिश्ता मेरे लिये

माँगा. मेरे परिवार वालो ने बिना हिचकिचाहट रिश्ता कबूल कर लिया और मुझसे

आकर मेरी राय पूछी. मेरी नजर उनकी बेटी पर तो थी ही, जो की एकदम भोली-

भाली और काफ़ी खूबसूरत थी, पर अभी उसका जिस्म माँ के जीतना खिला नहीं था.

और बिना कोई हिचकिचाहट मैने भी रिश्ते के लिये हाँ कर दी. और फिर क्यों

ना करता, बेटी के साथ उसकी माँ भी तो इतनी खूबसूरत थी.

मेरा ससुर (फादर-इन-लॉ) बड़ा ही दुबला पतला इंसान है और दिखने मे काफ़ी

कमज़ोर लगता है. मेरे ससुर का 30 साल की उम्र में काफ़ी भयंकर ऐक्सिडेंट

हुआ था, जिसके कारण उनकी रीड की हड्डी में काफ़ी ख़तरनाक चोट लगी थी. अब

उनकी कमर काफ़ी कमज़ोर हो गयी है और कोई भारी काम करने से दर्द होने लगता

है.

फिर हमारी शादी हो गयी. फिर शादी के बाद तो मैने खुलकर अपने ससुराल

आना-जाना शुरू कर दिया. नॉर्मली, में फ़ोकट अपने ससुराल जाया करता था.एक

दिन मैने ऑफीस से छूट्टी ली हुई थी और बीवी को बिना बताये सोचा की आज

ससुराल हो कर आया जाये.

बिना कोई फोन करे में 10:30 सवेरे- सवेरे अपने ससुराल पहुँच गया. मैने भी

चुन कर अपना पहुचने का समय तय किया था. मेरा ससुर 9:30 बजे ऑफीस चला जाता

है और मेरी दोनो साली अपने कॉलेज चली जाती है.

जब मैने ससुराल पहुँच घंटी बजाई तो कुछ एक 10 मिनिट के बाद मेरी सास ने

अंदर से आवाज़ लगाई, "कौन है… ?" मैने कहा, "में राजेश हूँ, आपका दामाद."

और उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और उन्हें भीगा हुया देख मेरी आँखें चकाचोँद

हो गयी. उन्होने, सिर्फ़ एक हाथ से टावल को पकड़ रखा था और उनके सारे

शरीर पर पानी की बूंदे मोतियों की तरह चमक रही थी.

मेरी सास बोली, "अरे तुम, इस वक़्त यहाँ". में बोला, "क्यों इस वक़्त

नहीं आ सकता क्या?" मेरी सास ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया, "अरे बेटा

तुम तो इस घर के अकेले बेटे हो. आओ.. आओ.. अन्दर आओ.. यह तुम्हारा ही तो

घर है."

पहली बार मैने अपनी सास की टांगे एकदम नंगी देखीं थी. बड़ी ही चिकनी थी.

उनकी टांगे. उनके घने और लंबे बाल उनके चीतड़ों को छु रहे थे. मेरा लंड

मेरी पेंट में मेरी चड्डी में एकदम सनसनाता हुआ एकदम खड़ा हो गया. में घर

में घुस कर सीधा ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ गया, ताकी अपनी सास के पैट

को गौर से देख सकूँ. फिर वो दरवाज़ा बंद कर वापस मेरी तरफ चल कर आ रही थी

तो में टकटकी लगाये उनके शरीर को देख रहा था.

एकदम हूर परी लग रही थी. एक शादी शुदा लड़की की माँ होने के बावज़ूद भी

उनके शरीर में वो कसक और उनकी चाल में ठुमक देख मेरा लंड अंदर झटपटा रहा

था. मेरा लंड अंदर मेरी चड्डी में मुड़ गया था और बिना कुछ सोचे, मैने

अपने हाथ से अपने लंड को सही किया. मेरे इस रिझान को देख उनके चेहरे पर

एक खुशियों भरी मुस्कान आ गयी. मुस्कुराते हुए बोली , "क्या बात है आज

सुबह- सुबह ससुराल चले आये. घर पर सब ठीक ठाक है."

मैने कसमसाते हुऐ कहा, "बस इधर से गुजर रहा था. मैने सोचा की आपसे मिलता

चलूं." अब तो मुझे अपनी सास की हर अदा पे प्यार आ रहा था. वो बोलीं, "में

ज़रा नहा कर आती हूँ. तुम यहीं पर इंतज़ार करों. फिर कुछ दामाद की सेवा

करती हूँ."

मैने कहा.. "ठीक है.., सासू जी…" फिर मैने नीचे झुक कर खाने की टेबल से

एक मेंगज़ीन उठानें के बहाने सामना हुआ. जब में नीचे झुका, तो वो इठलाती

हुयी. मेंरे काफ़ी नज़दीक से होते हुये अपने बेडरूम की तरफ धीरे-धीरे

बड़ी. इसी दौरान, मैने झुके-झुके अपनी सास की नशीली टाँगों के दर्शन किए.

फिर वो बेडरूम के दरवाज़े से मुड कर मेरी तरफ मुस्कुराती हुई देख कर

बोलीं, "सब कुछ ठीक है ना. अगर कुछ चाहिये तो बिना झिझक ले लेना." मैने

कहा, "हाँ.. हाँ.. कोई दिक्कत नहीं मैं ले लूँगा, अगर कुछ चाहिए होगा

तो." और फिर वो अंदर चली गयी.

वैसे तो मैने अपनी सास के बारे में बहुत बार फॅंटसाइज़ किया था. लेकिन सच

में, वो इतनी मस्त होगी, कभी सपने भी नहीं सोचा था. बस, अब तो उनके शरीर

को भोगने की एक तमन्ना दिल में बंध सी गई. मैगज़ीन तो मेने हाथ में पकड़ी

थी, लेकिन मेरी आँखों पर मेरी सास के मस्त शरीर का नशा छाया हुआ था

कुछ देर बाद में उठ कर उनके बेडरूम की तरफ बड़ा. और अंदर देखा की मेरी

सास ने बाथरूम का दरवाज़ा ठीक तरह बंद नहीं किया था. कुछ हिम्मत कर में

बाथरूम की तरफ बड़ा. दरवाज़ा ठीक से बंद ना होने के कारण, एक छोटे से

दरार से बाथरूम का कुछ हिस्सा दिख रहा था. अंदर शावर की आवाज़ आ रही थी.

मैने थोड़ा सा दरवाज़े को अंदर की तरफ ढकेला, तो मुझे शीशे में जो नज़ारा

दिखा, उसे देख मेरा लंड तो जैसे पेंट को फाड़ बाहर निकलने को तेयार हो

गया. मेरी सास, टॉयलेट सीट पर बैठ, एक हाथ से अपने चूत में एक लंबा सा

बेंगन घुसा रहीं थी और दूसरे हाथ से अपना एक निप्पल पकड़ उसे मसल रहीं

थी.

अब तो मुझसे और रहा ना गया, और मैने अपने सारे कपड़े उतार लिये और सीधा

बाथरूम का दरवाज़ा खोल अंदर घुस गया. मुझे नंगा देख मेरी सास को कोई शोक

होने की जगह मुस्कुराने लगीं. अब मुझे यकीन हो गया, मेरी सास तो यही चाह

रही थी.

एकदम नंगी थी मेरी सास और में भी एकदम नंगा था. मैने सीधा अपना लंड पकड़ा

और उनके सामने हिलानें लगा. वो बोली, "ऊई माँ.. सुना था.. पर इतना बड़ा

और कड़क होगा मुझे तो बिल्कुल ऐकिन नहीं हो रहा.. है राम.. आज मेरी बरसों

की तम्मना पूरी हो गयी.. बड़ी प्यासी है.. बेटा यह चूत.. तेरे लॅंड ने एक

आस सी जगा दी.. पर आज तो मुझे यकीन हो गया की ऐसे लंड की तो कोई भी एक

चूत भूक नहीं मिटा सकती..

लगता है में कुछ ज्यदा ही बोल गयी हूँ.. है ना बेटा.. प्लीज़ आज मेरी

बरोसों की भूख मिटा दो दामाद ज़ी.." मैने जवाब दिया, "सासू माँ.. जब से

शादी हुयी है.. में तो आपके शरीर को खूब निहारा करता हूँ.. कोई नहीं कह

सकता की आप मेरी बीवी की माँ हैं.. आप का तो हर अंग बोलता हुआ नज़र आता

है..

ऐसा लगता है की जवानी ने आपका साथ अब तक नहीं छोडा.. बल्की भगवान ने तो

समय के साथ साथ आपको और भी माल बना दिया है.. मेरे तो दोस्त भी आपको देख

अपनी लार टपकाते हैं." वो बोली, "हाँ.. बेटा तेरे ससुर तो पहले से ही

कमज़ोर थे.. और जब उनका ऐक्सिडेंट हुआ में तो सिर्फ़ 25 वर्ष की थी.. तब

से अब तक कोई मर्द ने नहीं चोदा है मुझे.. मेरा तो एक बेटा है वो दुबला

पतला और सबसे छोटा भी है…. अब मुझे दामाद के रूप मे बेटा मिल गया.. वो भी

इतने लम्बे और मोटे लंड वाला..

में बोल पड़ा, "लो.. ना.. इसे पकड़ लो सासू जी, अब कभी आपको इस बेंगन या

खीरे की ज़रूरत नहीं पड़ने दूँगा.. आपने पहले कभी कहा होता.. तो भी में

पीछे नहीं हटता.. में तो शादी के बाद से ही आपके शरीर का दीवाना था..

आप जब भी मेरे सामने होती थी.. मेरा तो आपको भरपूर चोदने का मन करता था..

आप चीज़ ही ऐसी हैं." फिर मेरी सास ने आव देखा ना ताव.. सीधा मेरा लंड

पकड़ लिया.. और उसे सहलाते हुई बोल पड़ी, "सच में बड़ा भारी है यार तेरा

लंड.. बड़ी खुश किस्मत है मेरी बेटी.. की उसे ऐसा लंड मिला.. और तेरी

सासू मा भी.."

मैने अपनी सासू माँ के गीलें बालों में अपना हाथ डाला और उनके गेर्दन पर

उनके कानों के नीचे अपने अंगूठों से सहलाते हुऐ ज़ोर से अपने तरफ खींच कर

अपना होंठ उनके होठों पर रख अपनी जीभ उनके मूँह में डाल पागलों की तरह

चूमने लगा.

शायद मेरे ससुर ने मेरी सास को कभी ठीक से चूमा भी नहीं. मेरी सास भी

अपनी जीभ मेरे मूँह में डाल मेरी जीभ को अपनी जीभ से रगड़ने लगी. एकदम

गर्म होने लगी हमारी सासें. फिर अपनी जीभ को बाहर निकाल उनसे भी वही

किया. एकदम पिंक थी मेरी सास की जीभ. मैने अपनी सास की जीभ को चारों तरफ

से खूब चाटा…

वो बोल पड़ी, "यह सब तूने कहाँ से सीखा." मैने कहा, "मज़ा आ रहा है ना

सासू माँ. सब ब्लू फिल्मों का असर हे." फिर मैने अपनी सास की गर्दन को

अपनी जीभ से चूमते हुये, उनके बोब्स पर ले गया, जोकि एकदम चट्टान की तरह

सखत थे और एक बोब को एक हाथ में पकड़ दूसरे को चूसने लगा. वो ज़ोर से बोल

पड़ी, "इन्हें तो तेरे ससुर ने कभी मज़ा ही नहीं दिया.

आज इन्हें चूस–चूस के हताश कर दे." मैने कहा, "तभी तो मेरी किस्मत मे

इतने ठोस बोब्स हाथ लगे हैं. मेरी तो किस्मत ही अच्छी है, मुझे तो

कुँवारी सास मिल गयीं. अब तो खूब मज़ा आ जाएगा. सच कहूँ सासू माँ जो नशा

आपके इस जिस्म मे है, वो अभी आपकी बेटी में नहीं छाया. शायाद, इसलिये की

आपने इसे काफ़ी बरसों से जमा किया है."

मेरी सास, "बस अब जल्दी कर बेटा.. अपना यह भारी भरकम लंड मेरी चूत में

घुसा दे. बड़े सालो से लंड की प्यासी है तेरी सासू माँ की चूत. फाड़ दे

ना इसको आज." मैने अपना लंड लिया और अपनी सास की चूत के मुंह पर लगा

दिया. कुछ देर उसे वहीं पर रगड़ा तो सासू माँ से रहा नही गया और उन्होने

मेरे लंड को दबोच अपनी चूत में घुसाने की चेष्टा की.

बड़ी मस्त थी. मेरी सासू माँ की चूत.फिर मैने अपनी दो उंगलियाँ नीचे ले

जा सासू माँ की चूत को फैलाया, और अपने लंड को पहले 2 इंच अंदर धकेला, तो

उनकी सिसकारी निकल पड़ी. उनके मूँह से निकल पड़ा, "ऊई.. माँ.. मेरी..

हाय..हाय.. आई.. यह तो सच में फाड़ देगा. बड़ी बड़ी चूतों को भी.." मेरे

मूँह से भी निकल पड़ा, "आप की चूत भी तो बड़ी टाइट है.. सासू माँ.. कभी

चूदी नहीं ना.. आज इसे खोल देगा आपका यह दामाद बेटा.." फिर मैने बातों ही

बातों में एक ज़ोर से धक्का लगाया, अपना आधा लंड अपनी प्यारी सासू माँ की

चूत में घुसा दिया. मेरी सासू माँ ने "इसस्सश.." करते हुवे मुझे काट

लिया.

और फिर मेरी उत्तेजना और बड गयी.. और मेरी सासू माँ ज़ोर से चीख मेरी कमर

मे अपनी उंगलियाँ घुसा दी.. "है.. दया.. आआअहह.. मर गयी राम.. ऊई माँ..

काश 20 साल पहले ऐसा लंड मिला होता.. में आज इतना ना तड़पती."

और कुछ ही देर में मेरी सासू मा मेरे लंड की दीवानी होकर उस पर अपनी गरम

और कसी चूत को से इतराने लगी.. उसने मुझे ज़ोर ज़ोर से काटा.. चूमा.. जो

मेरी सासू माँ के जी मे आया उन्होंने मेरे शरीर के साथ किया.. और मुझे भी

मज़ा आ रहा और साथ ही साथ अपने लंड पर नाज़ हो रहा था.. की मेरी सासू माँ

की बरसों की प्यास बुझ रही थी..

और फिर उस दिन मेरी सासू माँ ने मुझसे 4 बार चुदवाया और बाद मे खूब

स्वादिष्ट खाना खिलाया. एक बार तो मैने उन्हें वहीं किचन में डाइनिंग

टेबल पर लिटा कर भी चोद दिया खाना बनाते बनाते.

उस दिन के बाद तो मैने और सासू माँ ने ब्लू फिल्में देखते हुये काफ़ी अलग

अलग तरीके अपनाए. बड़ी ही भूखी थी वो. अब मुझे मालूम चल गया की एक भूखी

औरत एकदम भूखी शेरनी की तरह होती है, जिसे चोदने में सबसे ज़्यादा मज़ा

आता है. हाँ तो दोस्तो उसके बाद मैं अपनी सासू माँ को अक्सर चोदने चला

जाता हूँ.

आपका शुभ चिंतक राजेश………….

धन्यवाद …