नीरजा मम्मी और शिप्रा आण्टी hindi sex kahani

मेरा नाम प्रणय है। मैं मेरे माता पिता की एकमात्र संतान हूँ। sexy शिप्रा
आण्टी, जिनके साथ यह घटना घटी, वो अक्सर हमारे घर आया जाया करती थीं।
उनकी उम्र लगभग 36 साल यानि की मेरी मम्मी नीरजा के बराबर हैं। उनके पति
एक बेहद सफल अमीर व्यापारी हैं और काम के सिलसिले अक्सर बाहर रहते हैं।
शिप्रा आण्टी अकसर दोपहर को, जब मेरे पापा ऑफिस में मौजूद होते थे, हमारे
घर आया जाया क़रती थीं । एक दिन सर्दियों की छुट्टियों के दौरान, मेरे
मम्मी-पापा मुझे अकेला छोड़कर हमारे एक गंभीर रूप से बीमार करीबी
रिश्तेदार को देखने गये हूए थे। मैं भी उनके साथ जाना चाहता था, लेकिन
मम्मी-पापा ने मेरे इम्तिहानों की तारीख करीब देखते हुये मुझे साथ लेकर
जाना उचित नहीं समझा और परीक्षाओं के लिए अध्ययन करने को कहा। उस दिन,
शिप्रा आण्टी, हमेशा की तरह दोपहर लगभग 2 बजे के करीब आ गईं। मैंने
दरवाजा खोला और उन्हें बताया कि मम्मी-पापा शहर के बाहर हैं। मैं उन्हें
बाहर से ही टरकाना चाह रहा रहा था लेकिन शिप्रा आण्टी दरवाजा धकेल कर
अंदर आकर सोफे पर बैठ गईं। मैंनें विनम्रतापूर्वक उससे पूछा कि क्या वह
कुछ चाय या कॉफी लेंगी, परन्तु शिप्रा आण्टी ने कहा कि यह आवश्यक नहीं
है। शिप्रा आण्टी ने मुझे बताया कि वह मेरे साथ बातें करने और माता-पिता
की अनुपस्थिती में मेरा हाल-चाल जानने के लिए आईं हैं। मैं एकबारगी तो
बहुत ही शर्मिन्दा और आश्चर्य चकित भी हुआ। मुझे उनसे क्या बात करनी
चाहिए, यह मुझे पता नहीं था परंतु शिप्रा आण्टी ने मुझसे मेरी पढ़ाई के
बारे में पूछना शुरू किया, और मेरे कॉलेज के फ्रेंडस के बारे में पूछा।
मैंने उन्हें अपने फ्रेंडस की संपूर्ण जानकारी दी। शिप्रा आण्टी ने फिर
पूछा कि "क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?" मैंने उनसे कहा कि
मैं इन सब मे दिलचस्पी नहीं रखता हुं। अचानक शिप्रा आण्टी ने पूछा "क्या
तूमने कामसूत्र नामक ग्रन्थ पढा है? मैं अचम्भित और शुरू में और निरूत्तर
था परन्तु बार बार पूछने पर मैनें बताया कि मैनें इस किताब का आंशिक
अध्ययन किया है। शिप्रा आण्टी ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम्हारी उम्र के
ज्यादातर लडके मौका पाते ही इस साहित्य का अध्ययन अवश्य कर लेते हैं"
"चिंता मत करो, तुम अपनी आण्टी के साथ खुलकर बात कर सकते हो, मैं किसी को
कुछ नहीं बताऊंगी, यहां तक कि तुम्हारी मम्मी तक को भी नहीं" मैंनें
शर्मीलेपन से उत्तर दिया "मैंनें इस पुस्तक को एक बार मम्मी की अलमारी के
लॉकर को खोलकर पढ़ा तो हैं मगर पूरा नहीं" वह मुस्कुराईं और कहा, "बहुत
अच्छी बात है, लेकिन तुम्हे इस ग्रन्थ का कौन सा अध्याय सबसे ज्यादा
मनोरंजक लगा?" मैंनें उत्तर दिया "आण्टी, इस ग्रन्थ के एक अध्याय मे
प्राचीन काल की महारानियों द्वारा पटरानी के पुञों को सम्मोहित कर समागम
और संतानोत्पत्ति के वृतांत मुझे सर्वाधिक रोचक लगे। मैंनें आण्टी से
पूछा "मेरे को तो यह बात मेरी समझ से परे लगती है कि माञ स्त्री-पुरुष के
साथ शयन करने से संतानोत्पत्ति कैसे संभव हो सकती है?" आण्टी ने मेरे
भोलेपन की बातें सुनकर जवाब दिया कि "साथ शयन माञ से संतानोत्पत्ति नहीं
हो सकती है अपितु इसके लिये स्त्री पुरुष के मध्य एक द्रव का अंतरण
आवश्यक होता है जो कि स्त्री-पुरुष के समागम/ संभोग/चुदाई से ही अंतरित
हो सकता है" उन्होंने मुझे उनके बगल में बैठने को कहा और प्यार से एक माँ
की तरह मुझे सहलाया। शिप्रा आण्टी ने उनकी उंगलियों को मेरे बालों मे
डालकर सहलाया। वो धीरे धीरे सरक कर मेरे नजदीक आंई मुझसे चिपककर बैठ गईं।
इस दरम्यान उनका दुपट्टा उनकी गोद में गिर गया। शायद उन्होंने इसे
जानबूझकर नहीं उठाया और अब शिप्रा आण्टी मुस्कुरा रहीं थीं । शिप्रा
आण्टी ने एक आगे से बहुत नीचे तक खुल्ला हुआ ब्लाउज पहना हुआ था जिसके
फलस्वरूप उनके स्तनों का लगभग आधे से अधिक भाग साफ उजागर हो रहा था।
शिप्रा आण्टी ने उनके स्तनों के मध्य स्थित दरार में मेरा हाथ डालकर कहा,
"इस खजाने को देखो और महसूस करो, तब तुम्हे पता चलेगा कि क्या जीवन मे
आनंद का क्या मतलब है तुम क्यों शर्म महसूस कर रहे हैं?" देखो हम दोनो
अकेले हैं और तुम एक शानदार मर्दाना शरीर वाले रमणीय पुरुष हो, क्या तुम
अपने मर्दाना शरीर को अपनी आण्टी को नहीं दिखाना चाहोगे? शिप्रा आण्टी ने
मेरी सुडौल भुजाओं पर उनके हाथ फेरते हुए कहा "ओह, क्या मांसपेशियों है?"
शिप्रा आण्टी ने कहा, 'यदि तुम्हारी भुजाएँ इतनी मजबूत हैं तो जांघें और
पिंडलीयां तो निश्चित रूप से अत्यन्त सुडोल होनी चाहिए' इतना कहकर,
शिप्रा आण्टी ने मेरी मर्दाना जांघों पर हाथ शुरु कर दिए। मेरे लिये यह
पहली बार का अनुभव था कि मेरे शरीर को किसी महिला ने इतनी अच्छी तरह
छुअकर देखा हो। मेरे शरीर सनसनी सी छा रही थी। शिप्रा आण्टी ने कहा, "तुम
अपनी ट्रैक पेंट क्यों नहीं उतार देते? मुझे तुम्हारे शरीर की पूरी झलक
लेनी है। शिप्रा आण्टी ने लगभग मुझे धक्का सा देकर मेरी ट्रैक पेंट को
उतार दिया। मैं मेरे शॉर्ट्स में उनके सामने खड़ा था। मेरा लिंग पहले से
ही खड़ा हो गया था और अब यह मेरे शॉर्ट्स से साफ उभर रहा था। शिप्रा
आण्टी ने कहा, "तो, अब तुम उत्तेजित हो चुके हो"' शिप्रा आण्टी ने पूछा
"क्या तूमने पहले कभी किसी स्त्री से समभोग किया है?" 'मैंने कहा "नहीं"'
"तो आज मेरे साथ इस अद्भुत अनुभव को प्राप्त करने का तुम्हारे पास
सुनहेरा मौका है" "तुम डरना मत, यह बात किसी से मत कहना, यह बात मेरे
तुम्हारे बीच गुप्त रहनी चाहिये। मैंनें भी एक बहुत लंबे समय से किसी
जवाँ मर्द के साथ संभोग नहीं किया है। यह कहकर शिप्रा आण्टी मुझे मेरे
मम्मी-पापा के शयन कक्ष में जाने के लिए कहा। कमरे में प्रवेश करते ही,
शिप्रा आण्टी ने उनका ब्लाउज और पेटीकोट खोल दिये। शिप्रा आण्टी मेरे
सामने ब्रा और जाँघिया में खडी थी। मैं पहली बार अर्धनग्न औरत को देख रहा
था। मेरी आँखों ने ऊपर से नीचे तक उनके आकर्षक कामुक अर्धनग्न बदन पर
नज़रें गड़ाकर-गड़ाकर देखना शुरू कर दिया। शिप्रा आण्टी का सुडौल बदन
गोरा-चिट्टा चर्बी-रहित था। मिस्र के पिरामिड की तरह उनके स्तनों की
ऊर्ध्वता, डाली जैसी कमर पतली और देवदार के वृक्ष की भांति लंबी और सुडौल
टांगें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इंद्रलोक की कोई अप्सरा भटक कर
पृथ्वी पर आ गई हो। मेरी आँखों ने शिप्रा आण्टी के सौन्दर्य को लगभग पूरी
तरह से निगलने का निश्चय कर लिया था। वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं।
शिप्रा आण्टी ने मेरे निकट आकर मेरी टी शर्ट खोलकर अलग कर दी और मेरे
सीने, पेट और चेहरे पर उन्होंने अपनी उंगलियां फेरना शुरू कर दी।
उन्होंने कहा "प्रणय, मुझे छूकर देखो" मुझे नहीं पता था कि क्या करना है।
शिप्रा आण्टी ने उनके स्तनों पर मेरे हाथों रखा और धीरे धीरे उनके उरोजों
पर घर्षण शुरू कर दिया। मेरे शरीर में बिजली के हल्के फुल्के झटके जैसे
महसूस होने लगे। मैंने एक अर्धनग्न औरत के बदन को अब तक कभी भी नहीं छुआ
था। शिप्रा आण्टी ने पूछा क्या ये सब तुम्हे पसंद आया?" मैंनें मस्ती में
से सिर हिलाकर हामी भर दी। शिप्रा आण्टी डबल बेड पर उलटी लेट गईं और मुझे
अपनी ब्रेसियर का हुक खोलने को कहा। मैंने अविलंब ब्रेसियर का हुक खोलकर
उसे उतारकर अलग रख दी। उनके सुडौल स्तन अब बिस्तर की चादर से सटे हुए थे।
मैंनें उनकी कमर के दोनो ओर मेरे टांगों को डालकर बैठ गया जैसे घोड़ी की
सवारी कर रहा हुं मेरे हाथों ने उनकी पीठ को ऊपर कंधों से नीचे नितम्बों
तक सहलाना शुरू कर दिया। मैं हाथों को कांख में फैरते हुए आण्टी के
स्तनों के पास ले गया और पूछा, 'आण्टी, क्या मैं इन्हें छू सकता हैं?
"तुम कैसी बातें कर रहे हो? ये सब तुम्हारे ही हैं" ये कहकर आण्टी पलटकर
कमर के बल लेट गईं। उनके वक्ष-स्थल अब पूरी तरह स्पस्ट नज़र आने लगा।
मैंने उनकी चूचियों पर उंगलियां से घर्षण करना आरम्भ कर दिया।'शिप्रा
आण्टी ने जोर जोर से आहें भरते हूए कहा "अब अपने मुँह मे चूचियों को लेकर
चूसना शुरू करो। चूचियों को चूसते-चूसते मैंनें आण्टी की जाँघिया को हौले
हौले नीचे सरकाकर तन से अलग कर उन्हें पूर्णतया नग्न कर दिया और मैंनें
अपनी जाँघिया भी उतार दी। शिप्रा आण्टी ने मेरे नितम्बों को पकड़कर मुझे
अपनी ओर खेंचकर मेरे लौड़े को अपने मुंह में ले लिया। शिप्रा आण्टी ने
धीरे धीरे मेरे लौड़े के संपुर्ण शाफ्ट की लंबाई को अपने कंठ मे उतारकर
धक्के देने लगीं। मुख-मैथुन समाप्ति के उपरांत आण्टी ने मुझे पीछे
खिसकाकर मेरे सुपाड़े से उनकी चूचियों को घर्षित करना आरंभ कर दिया।
"आण्टी, अब मैं अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकता हुं क्योंकि मेरा
वीर्य-स्खलन होने को है। शिप्रा आण्टी ने अपने नितम्बों के नीचे एक तकिया
रखकर टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेट गईं है और मुझे आमंत्रित कर कहा "इतनी
जल्दी से वीर्य-स्खलन होने से तो तुम कभी भी तुमसे चुदने वाली औरत को
तृप्त नहीं कर पाओगे, थोड़ा धैर्य बनाए रखो और अपने सुपाड़े को मेरी
योनीद्वार पर रखकर थोड़ी देर तक लौड़े को अंदर तक घुसेड़कर रखो और फिर
धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरु कर दो। इस प्रक्रिया को ही औरत को चोदना
कहते हैं। वीर्य-स्खलन के बाद लंड़ ढीला पड़ जाता है तथा ढीले लंड़ से
चुदाई नहीं बल्कि मूता जाता है। औरत को चोदते समय यदि वो सौम्य और सभ्य
होने के बावज़ूद भी गन्दी गन्दी गालियां बकने लगे और उसकी बुर से वीर्य
जैसा द्रव छुटने लगे तो समझो कि उसकी कामपिपासा की तृप्ति हो चुकी है।
मर्द को उसका वीर्य-स्खलन इसके बाद ही करना चाहिये और यदि मर्द इसके
तत्काल बाद और भी औरतों को चोदना चाहता है तो यथासंभव प्रयास करे कि आखरी
औरत की चुदाई तक उसका वीर्य-स्खलित ना हो। शिप्रा आण्टी ने उनकी तर्जनी
अंगुली और अँगूठे के बीच मेरे सुपाड़े को पकड़कर अपने हाथ से मेरे लंड़
को उनकी बुर में डालकर मुझे नीचे ले लिया और वो स्वम मेरे ऊपर आ गईं और
एक घुड़सवार की भांति मेरे लौड़े की सवारी करने लगीं। मैं इतना उत्तेजित
हो गया था कि मैंनें भी अपने नितम्बों को धीरे धीरे उठाकर आण्टी की योनि
में मेरे लंड़ से धक्के देना शुरु कर दिया। शिप्रा आण्टी ने चिल्लाकर कहा
"हरामी" "बहनचोद" "और जोर से चोद मुझे" "मेरी चूत में लौड़ा इतनी जोर से
डाल कि मेरी चूत फटकर भोंसड़ा बन जाये" लेकिन मैं इस प्रथम चुदाई का आनंद
लेने पर आमदा था। अतः मैंनें चुदाई की गति में कोई और इज़ाफा नहीं किया।
शिप्रा आण्टी ने मेरा इरादा भांपकर खुद ही मेरे लौड़े पर उछल उछल कर मुझे
ही चोदने सी लगीं थी। चंद मिनटों में ही हम दोनो चरमोत्कर्ष पर पहुँच
गये। जीवन में पहली बार मेरी कमबख्त मतवाली चूत ने एक मर्दाना अनुभव
प्राप्त किया है। शिप्रा आण्टी मुझे देख रहीं थीं। शिप्रा आण्टी ने पूछा,
"यह अनुभव कैसा था?" अब निर्भीकता से मैंने उत्तर दिया, "मोक्ष की
प्राप्ति जैसा अद्भुत और स्वर्गीय अनुभव था" शिप्रा आण्टी ने पूछा, "और
भी अधिक चोदना चाहते हो?' मैंने कहा, 'आण्टी, मेरे लंड़ तो अब छुहारे
जैसा ढीला हो चुका है" शिप्रा आण्टी ने कहा, 'इसके बारे में चिंता मत
करो। बाथरूम में जाओ और स्नान करके बिस्तर पर वापस आ जाओ। मैं बाथरूम में
गया और स्नान करके और बिस्तर पर वापस आ गया। शिप्रा आण्टी ने मेरे लंड़
को चूस चूस कर फिर एक आठ इंच के आकार के केले जैसा बना दिया और फिर अपनी
कोहनी और घुटने के बल कुतिया की मुद्रा बनाकर मुझे कुत्ते की तरह पीछे से
चोदने को कहा। इस बार मैंनें जमकर आंटी को चोदा और अंत तक भी वीर्य-स्खलन
नहीं होने दिया। अगले दो दिनों तक मैंनें और शिप्रा आंटी ने जमकर एक
दूसरे की चुदाई की और शायद ही कोई काम-मुद्रा हो जिसका क्रियान्वयन नहीं
किया हो। शिप्रा आण्टी ने मुझसे पूछा "वैसे तुमने कभी अपनी मम्मी को
चोदने की सोची है। मैंने कहा, "क्या बकवास कर रही हो आण्टी, मैं तो इसके
बारे में कभी सोच भी नहीं सकता है" आण्टी ने कहा, "मैं बकवास' नहीं कर
रही हुं, तुम्हें पता नहीं है लेकिन तुम्हारी मम्मी को उनके पति , मेरा
मतलब है तुम्हारे पापा से चुदकर कभी भी संतुष्टि नहीं मिली है और यह बात
उन्हीं ने मुझे बताई है" तुम्हारी मम्मी इस फिराक मे है कि वो किसी
तुम्हारी आयु के युवक को चंगुल मे लेकर उससे चुदवाए। ऐसी परिस्थितियो मे
तुम्हें मम्मी को विश्वास में लेकर उनसे यौन संबध स्थापित कर घर की इज्जत
बचाने की कोशिश करनी चाहिये और मैं उसे इसके लिए तैयार करूंगी। मैं
तुम्हे भरोसा दिलाती हूं कि वह मान जायेंगी और तुम्हे चोदने को एक और
परिपक्व महिला मिल जायेगी हम तीनों ग्रुप सेक्स भी करने का प्रयत्न
करेंगे। शिप्रा आण्टी ने फोन करके मुझे बताया कि मेरी मम्मी ने मझसे
चुदने को मंजूरी दे दी है। अगले शुक्रवार और शनिवार को मेरे पापा को शहर
से बाहर जाना था और हमनें इसी दरम्यान शिप्रा आण्टी के घर मम्मी को चोदने
का कार्यक्रम तय किया। शिप्रा आण्टी ने मुझे शुक्रवार की राञि 8 बजे उनके
घर आने को कहा और बताया कि मम्मी पहले ही वहां मौज़ूद होगी। मैं ठीक 8
बजे शिप्रा आण्टी के घर पहुंच गया और घंटी बजा दी। मम्मी दरवाजा खोला।
मैंने देखा कि उन्होंने एक पारदर्शी पहन रखा था। शिप्रा आण्टी को सोफे पर
बैठे देखा। मै अपनी खुद की मम्मी को चोदने के ख्याल भर से घबराया हुआ था
और मम्मी को पारदर्शी परिधानों में देखकर एक सिहरन सी मेरे अंग अंग मे
दौड़ने लगी। जब मैं अंदर था तब शिप्रा आण्टी ने मेरे पास आकर मुझे होंठों
पर चूमा और फुसफुसाई "चोदते वक्त यह ध्यान रखना कि तुम अपनी माँ को नहीं
बल्कि एक अतृप्त औरत की प्यास बुझा रहे हो तभी यह मिशन पूरा हो पायेगा।
अब तुम मेरे बेडरूम में लुँगी पहन कर लेट जाओ और मैं तुम्हारी मम्मी को
दूध की प्याली के साथ भेजती हूँ। मैं माँ बेटे के रिश्तों को सफलतापूर्वक
अपने समक्ष बदलता हुआ देखना चाहती हूं। मम्मी कुछ ही क्षणों में दूध की
दो प्यालियाँ ट्रे मे रखकर आ गईं और झुककर ट्रे को बहुत धीरे धीरे अपने
स्तनों के बीच की फांक को प्रदर्शन करते हूये सेंटर टेबल पर रख दिया।
मम्मी का चेहरा शर्म के मारे लाल था परंतु आंखो मे एक प्रसन्नता की झलक
साफ नज़र आ रही थी। मेरे दूध का कप समाप्त हो गया था। मम्मी के कमरे में
प्रवेश करने से पहले ही मैं काफी उत्तेजना के कारण बेहाल था और माँ के
स्तनों की झलक देखकर मेरे सब्र का बांध टूट गया। शिप्रा आण्टी के
निर्देशानुसार मैं अपने लंड़ को लूंगी मे संभालता हुआ बाथरूम में गया और
जैसा कि पहले से ही शिप्रा आण्टी ने निर्देश दिए थे, मैं बाथरूम से नंगे
सीने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स पहनकर बाहर आ गया। मैंने देखा है कि शिप्रा आण्टी
और मम्मी बेडरूम में मौज़ूद थीं। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि कैसे आगे
बढूँ तभी शिप्रा आण्टी ने पहल कर दी। उन्होंने मुझे अपनी ओर खेंचकर एक
गहरा चुंबन मेरे होठों पर जड़ दिया और फिर मेरी मर्दाना चूंचियों पर कुछ
देर तक चिकोटी काटने के बाद एक-एक करके उन्हें कुछ देर तक चूसा। शिप्रा
आण्टी ने मम्मी के होठों पर भी एक गहरा चुंबन जड़ दिया। मम्मी ने
शर्मिंदगी से उनकी आँखें बंद कर लीं। शिप्रा आण्टी ने मेरे हाथ को अपने
हाथ में लेकर मम्मी के स्तनों पर फैराने लगी और स्पर्श करते ही जैसे ही
मैंने उनके स्तन को थोड़ा दबाया तो मम्मी की सिसकारी छूट गयी। शिप्रा
आण्टी अब समझ रही थीं कि इस व़क्त मम्मी काफी उत्तेजित हो चुकी है और एक
माँ, अपने बेटे से नये प्रकार के प्यार व समागम के लिए तैयार हो चुकी है।
आंटी ने ने कहा, "ठीक है, तुम दोनो प्यार करो और एक नये रिश्ते की शुरूआत
करो और मैं लिविंग रूम में इंतजार करती हुं। मम्मी ने कहा, "नहीं, शिप्रा
तुम कृपया यहीं रहो, मैं घबरा रही हूँ और डर भी लग रहा है" शिप्रा आण्टी
ने हँसकर वहां रुकने को सहमत हो गई और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। अब
तो पल पल मेरी बेशर्मी, निर्लज्जता और वासना बढ़ती जा रही थी। मैं मम्मी
के पास गया दिया और कहा, "मैं तुम्हें प्यार करता हूं मम्मी, कृपया मेरे
पास आओ" मैंनें मम्मी को अपनी ओर खींचकर आलिंगनबद्ध किया और कस कर गले
लगा लिया। मम्मी अब भी झिझक रही थी। फिर मैंनें अपने हाथों में उनके
चेहरे को कसकर पकड़कर उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया। मम्मी के बदन में
एक बार फिर कंपकपी छू गई और उन्होंने मुड़कर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी।
मैंने मम्मी के पीठ पर अपना हाथ ऊपर से नीचे तक उनकी रीढ़ और नितंबों पर
फेरना शुरू कर दिया। मम्मी धीरे -धीरे आराम से आहें भरने लगी थी।
उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया और मेरे नंगी पीठ पर उनके हाथ सहलाने लगे।
अब मैं अपने आप को नियंत्रण करने में असमर्थ था। मैंनें धीरे धीरे उसके
गाउन के बटन खोलकर उनके कंधों से गाउन को नीचे सरकाकर उनके स्तनों को
सहलाना शुरू दिया। धीरे धीरे मैंने मम्मी के गाउन को पूरा नीचे सरकाया तो
मम्मी के बदन पर माञ ब्रसियर और कटि के नीचे का अधोवस्त्र शेष रह गया।
मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर मैंनें उसे अलग कर उन्हें ऊपर से पूर्ण
अर्धनग्न कर दिया। मैंनें उनके नितंबों को सहलाया और उनके पैरों के मध्य
मेरे पैर को रखकर धक्का दिया और उसकी जांघों को मला। मैंने कभी सपने में
भी नहीं सोचा था कि मेरी मम्मी का जिस्म इतना सुंदर और मादक होगा। मम्मी
के स्तनों की चूचियों का रंग गुलाबी और उनके पेट पर लेशमाञ भी चर्बी नहीं
थी। उनकी लंबी टाँगों, गदरायी हूई जंघाओं और सुडौल पिंडलियों को देखकर
कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो एक विवाहित स्त्री ही नहीं
अपितु मेरे जैसे व्यस्क पुरुष की माँ भी हो सकती हैं। मैंने कहा, "मम्मी,
पापा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें तुम जैसी सुंदर और सेक्सी अर्धांगिनी
मिली है" "वास्तव में पापा आप के साथ सेक्स करके कितना आनंद लेते होंगे"
मम्मी का चेहरा लाल हो गया और उन्होंने मेरी तरफ देखकर कहा "तुम्हारे
पापा ने आज तक भी मुझे कभी ढंग से चोदा ही नहीं है" "किसी औरत की चूत मे
लंड डालकर झटके देने माञ को ही संभोग नहीं कहते हैं" वो मेरी चूत में
सिर्फ लंड़ डालकर कुछ झटके देकर वीर्य-स्खलन की औपचारिकता को ही
स्त्री-पुरूष समागम समझते हैं और परिणामस्वरूप उनसे चुदा-चुदाकर और तुम
को उत्पत्ति देने के बावज़ूद मेरी कामाग्नि आज तक भी अतृप्त है। मैंनें
एक बार फिर मम्मी के समीप आकर उसके दोनों स्तनों के पकड़ लिया उन्हें
नाजुकता से दबाया और उनकी चूचियों को तर्जनी और कर्णिका उंगलियों से
घर्षण करना शुरू कर दिया। मेरे नंगे सीने पर मम्मी ने उनके हाथों को
फेरकर कर कहा "प्रिय पुञ मय पति मेरी ब्रेसियर के हुक खोलकर इन्हें चूसो।
मैंनें मम्मी की ब्रेसियर के हुक खोलकर उनके ऊपरी भाग को पूर्णतया नग्न
कर दिया। मम्मी के वक्षस्थलों की दरार के बीच अपना लौड़ा डालकर मैंनें
अपनी गांड को आगे-पीछे हिलाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा मम्मी के होठों के
संपर्क में आ गया और मम्मी ने मेरे लंड़ को मुँह के अंदर लेकर जमकर चूसा।
तदुपरान्त मैंनें मेरे लंड़ को मम्मी के मुँह से निकालकर मम्मी को
उनहत्तर की मुद्रा में लेकर अगले आधे घंटे तक मम्मी की जंघिया उतरकर उनकी
चूत में जीभ को डालकर चाटता रहा और मम्मी अपने मुँह में मेरे लौड़े को
निरंतर चूसती रही। अब मैंनें एक हाथ से मम्मी के नितंबों को दबाना शुरू
किया और दूसरे से उनके निपल्स के चारों ओर मेरी उँगलियाँ सहलाना शुरू कर
दिया। कुछ सेकंड के भीतर ही मम्मी के निपल्स खड़े हो गये। मैंनें मेरी
तर्जनी और मध्यमा उंगलियों में उसके निपल्स को लिया और धीरे -धीरे दबाने
लगा जिसके फलस्वरूप मम्मी के तन मे फिर से कंपकपी छूट गई। अनजाने में
मेरा हाथ नीचे चला गया और वह उनकी बुर को सहलाना लगा। मैं समझ चुका था कि
मम्मी अब भरपुर उत्तेजित हो चुकि है। मम्मी के हाथ सिर के पीछे चले गए और
मैंने अपने 8 इंच के कड़क लंड़ के सुपाड़े को मम्मी की बुर के छेद पर
रखकर उन्हें चोदने की अंतिम तैयारी कर ली। मैंने मम्मी होठों से अपने
होठों को अड़ाकर बहुत गहराई से चूमा और मेरी जीव्हा को उनके मुँह में
डालकर मम्मी की जीभ से ऐंटी दी और उनके होठों को चूसने लगा। मम्मी ने ऐन
वक्त पर बोलीं "इन रिश्तों को मातृत्व प्रेम से स्त्री पुरूष समागम मे
बदलने से पूर्व एक बार और सोच लो कि भविष्य में यह बात गुप्त नहीं रही तो
क्या होगा?" मैंने मम्मी को बताया कि पवित्र हिन्दू पौराणिक ग्रंथ
कामसूत्र में माँ बेटे के मध्य सम्भोग के कई वृतांत मौज़ूद हैं और यह बात
सामने आने पर मैं आपसे विवाह कर लूँगा। अब मैं आपकी सिसकारियों और आंहों
के अलावा कुछ नहीं सुनना चाहता। यह सुनकर मम्मी ने कहा "चलो अब हमें
सच्चाई का सामना, करके एक दूसरे की कामवासना को तृप्त करना आरंभ करें"
मम्मी के इतना कहते ही मैंनें अपने लंड़ को मम्मी की चूत में डालकर धीरे
धीरे अंदर बाहर करना करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही शयन कक्ष "आह"
"ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां से गूंजने लगीं और मम्मी की चूत के छिद्र से
द्रव का रिसाव शुरू होने लगा। मैंने तभी अचानक मेरा लंड़ मम्मी की चूत से
बाहर निकाल लिया और मेरी जिव्हा से मम्मी की टखनों व पिंडलियों को चाटता
हुआ उनकी जांघों अंदर के हिस्से की त्वचा तक जा पहुँचा। मैंने ने बड़े
सयंम से अपनी इन्द्रियों को वश मे रखते हुये मम्मी की भगनासा को चूसना
चालू कर दिया। मम्मी की भगनासा थोडी देर चुसने के बाद ही एक पाँच वर्ष के
शिशु के लंड के आकार की हो गई। मैंने पूछा, 'मम्मी, क्या तुम अब चुदाई के
लिये तैयार हो?' मम्मी में अब इतनी उत्तेजना समा चुकी थी कि वो चिल्ला
उठी "मादरचोद, अब तो हाथी जैसे लौड़े को मेरी बुर मे डालकर मुझे चोदना
शुरु कर" मैंनें फिर अपने सुपाड़े को मम्मी के योनी द्वार पर रखकर जोर से
धक्का दिया तो मेरा संपुर्ण लौड़ा उनकी बुर की गहराई में समा गया और अब
मैनें अगले एक घंटे तक धीरे धीरे अन्दर बाहर धक्के देने जारी रखे। मम्मी
की "आह" "ऊह" "आऊच" जैसी सिसकारियां निरंतर जारी थीं और इसी बीच मैंने
मम्मी की गदराई हुई टांगों को मेरी कंधो पर रखकर गर्दन के पीछे पिरो दिया
तो मेरा लौड़ा मम्मी की बुर की अधिकतम गहराई तक उतर गया और उनकी ग्रीवा
से मेरे सुपाड़े का घर्षण होना मुझे मेहसूस हुआ। मैंने मम्मी की चूचियों
को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया। मम्मी की सिसकारियां अब चिल्लाहट
में तब्दील हो गईं "चोदो मुझे" "जोर-जोर से चोदो मुझे" "मेरी बुर को
फाड़कर मेरे दो टूकड़े कर दो" "और जोर से चोद मुझे, गंडमरे-मादरचोद"
"चोद-चोद कर रंडी बना दे अपनी माँ को" मैंने अगले पंद्रह मिनट तक मेरे
लौड़े को जोर-जोर के झटकों के साथ मम्मी की बुर के अन्दर बाहर करना जारी
रखा तो मम्मी का चरमोत्कर्ष हो गया।
अचानक, शिप्रा आण्टी हमारे शयन कक्ष में पूर्णतः नग्न होकर अवतरित हुँई।
मेरे ढीले पड़ चुके लंड़ को मम्मी की बुर से निकालकर चूसना शुरू किया तो
उसमें फिर ऐंठन आ गई और शिप्रा आण्टी ने मेरे वीर्य-स्खलन से पहले एक बार
फिर मेरे लौड़े को मम्मी की बुर मे डलवाकर एक बार फिर मेरी और माँ की
चुदाई को अंजाम दिया। मम्मी के चेहरे पर संपुर्ण औरत बनने की संतुष्टि
प्रतीत हो रही थी। मम्मी ने कहा, "मेरी प्यारी सोनिया, आज कई युगों के
बाद मेरी कामाग्नि को शांत करवाकर तूमने एक नेक काम किया है। अब से यह तय
होता है कि मेरा बेटा रोज़ दिन में जब मेरे पति आफिस में होते हैं, तब
मेरी चुदाई करेगा और इनके बाहर होने की दशा में अपनी आंटी को दिन मे और
अपनी माँ को रात चोदेगा। उस दिन के बाद से मैं और मम्मी लगभग हर दूसरे
दिन जब पिताजी बाहर होते हैं तो जमकर चुदाई करते हैं। कभी कभी तो जब दोनो
के पति शहर से एक समय मे बाहर होते हैं तो हम सामूहिक चुदाई करते हैं।
धन्यवाद …