आज आपके लिए खास मेरी चाची की गौरी की गांड मारने की कहानी पेश कर रहा
हूँ और यह कहानी तब की है जाब हम ट्रक में चाचा का सामान लाद भोपाल जा
रहे थे और चालू ट्रक में ही मैंने चाची की गांड ले ली थी |….मेरे चाचा
गोविंद एक कंपनी में काम करते थे और उनकी नई नई शादी हुई थी, उनकी पत्नी
गौरी 23-24 साल की होंगी और बहुत ही पटाखा माल थी, चाचा वैसे हमारे साथ
यही बरोड़ा में रहेते थे पर अब उनका तबादला भोपाल हो गया | चाचाने एक
ट्रक नक्की कर लिया अपना सारा सामान भोपाल ले जाने के लिए, चाची ने मुझे
कहा की मैं भी उन लोगो के साथ जाऊं ताकि उनको थोड़े दिन नया ना लगे, वैसे
भी मेरी कोलेज की छुट्टिया थी इस लिए मैं तैयार हो गया उनके साथ जाने के
लिए |मैं, चाचा और चाची तीनो ट्रक के साथ चल पड़े, चाचा आगे ड्राइवर के
साथ बैठें थे और हम दोनों ट्रक के पिछले हिस्से में, चाची ने आराम से
बेठने के लिए वहा एक गद्दा डाल दिया और हम दोनों उपर बैठे थें | में चलती
गाडी में चाची के उछलते यौवन को भरपूर देख रहा था, उसके उछलते चुंचे मेरे
लंड की हालत ख़राब कर चुके थे | हम शाम को 6 बजे बरोड़ा से निकले थे और
रात का खाना हमने एमपी बोर्डर के करीब खाया होंगा, रात का अन्धेरा अब
छाने लगा था | चाचीने एक चद्दर निकाली और वह उसे ओढ़ के लेट गई, ट्रक अप
उखड़खाबड़ रास्ते पर चल रही थी और कभी कभी तो कोई गड्डा इतना बड़ा आता था
की मैं चाची से टकरा जाता था, एक बार ऐसे ही एक खड्डे में ट्रक उछला और
मैं चाची के चुन्चो से टकरा गया, वाह क्या मुलायम चुंचे थे यार…! मेरा
लंड अब पेंट में ही दस्तक देने लगा |
जैसे ही मैं चाची के चुन्चो से टकराया मेरी और चाची की नजर मिली, मैंने
देखा की चाची की हलकी मुस्कान उसके होंठो पर फेल गई, मुझे लगा की चाची को
भी इससे अच्छा लगा होगा | अब में जान बुझ कर हर छोटे खड्डे में भी उससे
टकराने लगा और चाची भी कभी कभी सामने से टकरा जाती | मेरी हिम्मत खुल गई,
ऐसे भी खाना हो गया था इसलिए शायद ही ट्रक अब रुकने वाला था और अगर रुका
भी तो इतना वक्त तो मिल ही जाएगा..! ट्रककी केबिन से पीछे कुछ दिखे इसकी
भी गुंजाइश ढेर से सामान के खिड़की को ढँक देने से खत्म हो गई थी |मैंने
अब अपने हाथ चलाने शरू कर दिए, एक खड्डे पर मैंने चाची के चुंचे पर रखे
हाथ हटाए नहीं बल्कि धीमे ससे हाथ उनकी गांड पर ले गया और उनकी चुन्चो
जितनी ही मुलायम गांड सहेला दी | चाची ने एक लंबी सांस ली और वह कुछ बोली
नहीं | मैंने अब हाथ को गांडके ऊपर चलाना शरू कर दिया और चाची ने चद्दर
खींच ली ताकि उसका शरीर ढँक जाएं | चाची का मतलब था की करेंगे लेकिन बहार
नहीं, चद्दर के अंदर…! मैंने अब चाची की गांड से हाथ ले लिया और में उसके
सेक्सी कड़े स्तन दबाने लगा, चाची कुछ नहीं बोल राही थी ट्रक के धक्को
में वह भी उत्तेजित हुई पड़ी थी |
मैं चाची के उभरते चुन्चो को अब और भी जोर से दबाने लगा और चाची हलकी
हल्की सिस्कारिया निकालने लगी, चाची भी अब ताव में आ गई और उसने अपना हाथ
लम्बा करके मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया | मैंने चाची के कमीज़ को हटा,
उसके स्तन को ब्रा के उपर से ही चूसने शरू कर दिए, चाची ने मेरी मदद की
और अपनी ब्रा बिना हुक खोले स्तन के उपर से हटा दी उसका एक तरफ का स्तन
इससे बहार आ गया, में उसके तने हुए निपल को मुहं में लेकर चुसाई करने लगा
| चाची मेरे लंड को मसलने लगी और वह एक हाथ से मेरे माथे को अपने स्तन पर
दबा रही थी, मैंने चाची के नाड़े को खोल दिया और धीमे से उसकी इजार को
निचे कर दिया | चाचीने चद्दर सही की और घुटनों तक अपनी इजार खिंच ली |
उसने मेरा लंड एक हाथ से अभी भी पकडे रखा था | लंड बिलकुल तना था और उसे
अब मस्ती करनी ही थी | चाची अब पासे पर लेट गई और उसका इरादा लंड अपनी
चूत में डलवाने का था, पर मुझे उसकी गांड में कुछ ज्यादा दिलचस्पी थी और
मुझे पता था की आज जो करूँगा वोह करने देगी, इसलिए मैंने अपने हाथ के उपर
थोडा थूंक निकाला और उसकी गांड के छेद पर थूंक मलने लगा | चाची ने मेरे
सामने देखा और वह हंस पड़ी |
चाची हंस पड़ी और मैंने अब लंड को उसकी गांड के छेद के करीब रख दिया,
उसकी गांड टाईट थी और गर्म भी | मैंने अब धीमे धीमे लंड गांड के अंदर
घुसेड़ना शरू किया, ट्रक अभी भी झटके मार रहा था इसलिए लंड को अंदर डालने
में दिक्कत आ रही थी, तभी चाचीने आपने मुहं से थूंक हाथ में लिया और लंड
के मुख पर मल के लंड को गोटों के करीब से पकड कर अपनी कड़ी गांड में लेना
शरु किया, थूंक की चिकनाहट और चाची के अनुभव के चलते लंड गांड में घुस
गया, मुझे धक्के मारने की दिक्कत नहीं उठानी पड़ी, क्यूंकि एक तरफ से
चाची अपनी गांड उठा कर हिलाने लगी और मेरी तरफ से ट्रक धक्के मारने लगा.
कुछ 2-3 मिनिट गांड में लंड गया होगा की मेरा लंड वीर्य निकालने लगा,
वीर्य चाची की गांड के अंदर गया और कुछ उसके गांडके बहार आया चाचीने
पेंटी पहनी जिससे वीर्य पूंछ गया…! चाची ने आज तो गांड दे कर मुझे बहुत
मजे करा दिए, भोपाल जाके भी हमारी चुदाई और गांड की मस्ती चलती रही, चाचा
काम पर जाता और हम चाचा के लेपटोप पर ब्ल्यू फिल्मे देख अपनी मोज मस्ती
करते रहेते…तभी तो जब मैं भोपाल से वापस बड़ोदा आया तो चाची और मैं दोनों
दुखी थे….!