प्रेषक: साक्षी
गातांक से आगे ……
मैं उठने की कोशिश करने लगी तभी देखा स्वामीजी का एक शिष्य दरवाजे पे
खड़ा मुझे देख रहा था। उंगली से योनि सहलाने और चोदने से मुझ को मज़ा आने
लगा था और जिससे मेरी आवाज़ निकल गई। स्वामीजी का वो शिष्य बगल के कमरे
से उठ के मेरे कमरे में आ गया। मुझे नग्न हालत में देख कर वो घबरा गया,
लेकिन जब उस की नज़र मेरी नंगी टागों की तरफ गई तो वो देखता ही रह गया।
मेरी चमकती योनि उसे अपनी ओर खींच रही थी। मैं भी बिना रुके उंगली तेज़ी
से अपनी योनि में अंदर बाहर करती रही।
वो दिन मेरे लिए बहुत खास था। पहली बार आज सुबह मुझे किसी पराये पुरुष ने
चोदा था और अभी पहली बार एक पराये पुरुष ने मुझे नंगी हालत में देखा वो
भी अपनी उंगली से चूत चोदते हुए। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था। मैने अपनी
टांगे और फैला दी और उसे अपनी योनि का दर्शन कराती रही।
कुछ देर बाद वो बोला, "आप स्वामीजी की प्रिय भक्त है। आपको ऐसा नही करना
चाहिऐ। बाहर स्वामीजी आपकी प्रतीक्षा कर रहे है।"
मैने कहा, "स्वामीजी की प्रिय भक्त आपको आदेश देती है की मुझे कुछ समय
दे। आप वहाँ क्यो खडे हो, आओ और मेरे साथ यहाँ बैठ के देखो।"
मेरे करीब आ गया और ध्यान से मेरी योनि देखने लगा। उसी वक़्त मैं ज़ोर से
चिल्लाई, "उउइईईईईईईईईई माआआआआआअ ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
मैन्न्नन्न्न्नन्न्न्न आआआआआआययययीईईईईइ ।"
और मैं शरीर को कड़ा करके झड़ गयी। ये नज़ारा देख के शिष्य जिसका नाम
विशेष था, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। वो अपना हाथ अपने लंड पे रगड़ने
लगा। मैने उसकी धोती की तरफ देखा तो उसका लंड धोती से बाहर झाँक रहा था।
एकदम कड़क। मैं उसका खड़ा लंड देख के और गरम होने लगी और विशेष के साथ
बेड पर बैठ गयी। मुझे उसका लंड पकड़ने का दिल करने लगा। उसकी साँसे तेज़
चलने लगी और मेरी भी जबकि मैं दो बार आज झड़ चुकी थी।
मैने आँखे बंद की और अपना चेहरा विशेष की तरफ बढ़ाया ताकि उसे मेरे मन की
बात पता चले। उसने मेरा इशारा समझा और अपने होंठ मेरे होंठ पे रख दिए। हम
दोनो एक दूसरे के होंठ चूमने और चूसने लगे। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में
घुसा दी और मैं मज़े से उसे चूसने लगी। मेरे पति अरुण ने कभी मुझे ऐसे
किस नही किया था। फिर उसका हाथ मेरे स्तन पे पहुँच गया। मैं शांत होके
उसके अगले कदम की प्रतीक्षा करने लगी और उसकी जीभ तो चूसती रही। वो मेरे
स्तनो को जोर जोर से दबाने लग गया उसके होठ मेरे होठों पर थे। कुछ देर के
बाद विशेष ने मेरे स्तनो को मसलना शुरु कर दिया। मेरे निपल्स एकदम खड़े
हो गये और सामने को तन गये। विशेष ने अपना मुँह मेरे होंठ से हटाया और
मेरे निपल को चूसने लगा। वो पाँच मिनिट तक मेरे निपल्स को चूसता रहा। कभी
बाया निपल तो कभी दाया निपल। मैने उसका सर पकड़ा हुआ था और में वैसा
महसूस कर रही थी जैसा एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाते वक़्त महसूस करती
है। उसकी इन हरक़तो से मैं अपने शरीर में उठता दर्द भूल सा गयी और में
उसकी आगोश में खो गयी। तभी विशेष ने अपने मुँह को मेरे स्तन से अलग किया।
मैं उसकी तरफ प्यासी निगाहो से देखने लगी।
उसके बाद वो मेरे सामने खड़ा हो गया और अपनी धोती को खोल के अलग कर दिया।
वो मेरे सामने नंगे खड़ा था और उसका फनफनाता लंड मेरी आँखो के सामने
हिचकोले खा रहा था। मैं उसके मोटे लंड को देखती रही। दिल किया की उसे
मुँह में लेकर चूसने लगूं ।
उसने अपने लंड को मेरे मुहँ के सामने कर के कहाँ, "इसको चूसो। ले लो इसको
अपने प्यारे मुँह में चूस लो इसे। बहूत मज़ा आयेगा।"
पहले तो मुझको बहुत अजीब सा लगा की इतनी गंदी चीज़ को मैं मुहँ मे कैसे
लू। मैने मुँह सिकोड के कहाँ, "मगर ये तो गंदा होता है, मैं इसे मुँह में
नही ले सकती। कक्चहिईीईईईईईईईईई।।।।।।।।।।" ये तो बहुत गन्दा होता हे
मैने कहाँ।
विशेष बोला, "तुम इसको एक बार मुँह मे लो तो ऐसा मज़ा आयेगा की तुम लंड
को मुँह से निकालने को तैयार ही नही होगी। देखो ये कैसे फन फ़ना रहा है।"
विशेष ने अपने लंड को मेरे मुँह से लगा दिया तो मैं उसको मुँह मे ले के
चूसने लगी। शायद स्वामीजी ने जो दवा पिलाई थी उसका असर अभी तक बाकी था।
विशेष को बहुत मज़ा आ रहा था ओर उसके के मुहँ से आवाज़ें निकलने लगी,
"ऊऊऊऊऊओ।।।।।।आआआ ऊऊऊ जोऊऊऊऊर सेस्स्स्सस्स्स्सईईए ।"
मेरी योनि से भी पानी निकल रहा था, ये सोच-सोच के की मैं पहली बार किसी
का लंड चूस रही थी वो भी एक पराये मर्द का। विशेष ने मेरा सर पकड़ लिया
और धक्के मारने लगा। विशेष मेरे मुहँ मे अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा
और दस मिनिट के बाद मुझे उसके लंड में अजीब सी सिहरन महसूस होने लगी। मैं
समझ गयी की अब वो पानी छोड़ेगा, और मैं अपने मुँह से उसका लंड हटाने लगी
मगर विशेष ने मुझे ऐसा करने नही दिया। उसने मेरा सर दोनो हाथों से पकड़
रखा था। उसका लंड मेरे मुहँ में ही रहा और वो झड़ने लगा। उसके लंड से
वीर्य निकलने लगा।
मैं उसके लंड का वीर्य पीना नही चाहती थी, मगर तब तक देर हो चुकी थी।
उसने मेरे मुहँ में वीर्य का फव्वारा ज़ोर से छोड़ा और उसके लंड से पानी
निकल के मेरे मुहँ मे भरने लगा। उसके वीर्य का स्वाद उतना बुरा नही था तो
मैंने लंड को अपने होठों से जोर से दबा लिया। उसका सारा पानी मेरे मुहँ
में चला गया और मैं पी गयी। उसके लंड का पानी पीने के बाद मैं दोबारा से
उसके लंड को चूसने लगी। मेरा मन नही भरा था। हे भगवान, में एक ही दिन में
सती सावित्री नारी से एकदम हलकट हसीना बन गयी थी। पता नही स्वामीजी ने
दूध में मिला के मुझे क्या पिलाया था।
कुछ देर बाद विशेष ने कहाँ , "अब तुम लेट जाओ। मैं तुम्हारी चूत को
चुसूगा। इतनी मस्त चूत बहुत कम लोगो को नसीब होती है।"
मैं पलंग पर लेट गई। विशेष ने मेरी टाँगों की तरफ आके मेरी टाँगों को
फैलाया। वो मन्त्र मुग्ध सा मेरी चूत को देखता रहा। मेरी साफ सुथरी और
चिकनी चूत जो स्वामीजी की चुदाई के बाद भी होंठ हिला रही थी। विशेष ने
अपना मुँह मेरी योनि पे रख दिया और योनि के होंठ चूमने लगा। उसने अपनी
जीभ निकाली और अपनी जुबान से मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी ज़ुबान मेरी
चूत के दाने को लग रही थी। वो बार बार अपनी ज़ुबान से मेरी चूत के दाने
को सहलाता और चूसता। हर बार मैं दुगुने जोश से उसके सर को अपनी चूत पे
धकेलती।में भी उससे बोलने लगी, "ऊऊऊऊहह।।।।।। तुम बहुत मज़ेदार हो। इस
योनि ने इतना मज़ा पहले कभी नही लिया।।।।।।।।।।।।
अआआआअम्म्म्मममममममिईीईईईईईई।।।।।।। चूसो मेरे राजा ज़ोर से चूसो तुम आज
मेरी चूत को ज़ोर से चाटो, पता नही फिर मौका मिले ना मिले।।।।।।।।।।।।
आआहह यार तुम ग्रेट हो।।।।।।। ऊऊहह।।।।।।।।।।ऊओह यस बड़ा मज़ा आ रहा है
बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत गरम हो यार तुम तो।"
मेरी ऐसी बातें सुनकर वो और ज़ोर जोर से मेरी योनि चूसने लगा ओर जुबान से
चूत चोदने लगा। मैं इतनी मस्ती से अपनी चूत चुसवा रही थी की मैं भूल गयी
थी की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। और वो पराया मर्द है। थोड़ी ही देर मे वो
वक़्त आ गया और योनि में छटपटाहट होने लगी। मैने ज़ोर से सांस लिया और
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मेरी योनि के
रस को विशेष अपनी जुबान से चाटने और चूसने लगा। उसकी इस हरक़त से मैं तो
मज़े मे पागल हो गई। मैने उसके बालों को ज़ोर से पकड़ लिया और खींचने
लगी। उसे दर्द भी हुआ होगा तो उसने कुछ कहाँ नही और मेरा काम रस चूसता
रहा।
क़रीब पाँच मिनिट के बाद विशेष ने मुझे नीचे लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ
गया। उसने मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रखा और लंड चूत के मुँह पे रख
दिया। फिर अपने लंड को चूत के होल पर सेट करने के बाद अन्दर की तरफ
धक्का दिया। मेरी चूत का छेद उसके मोटे लंड को अन्दर नही ले पाया। वो जोर
जोर से धक्के मारने लगा आखिरकार उसका लंड मेरी चूत में पुरे तरीके से सेट
हो चुका था जिससे मेरी चूत का छेद पूरी तरह से फैल गया तो मे दर्द से
चीखने लगी, "ऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईई।।माआआआआआआअम्म्म्मममममममम। मैं मर
गइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई। निकालो अपने लंड को निकालो इसे।"
फिर उसने मेरे पैर कंधे से उतारे और फैला कर अपने दोनो साइड पर कर दिये
और फिर अपना लंड मेरी योनि मैं डाल दिया। उसने अपने लंड को मेरी चूत मे
डाला तो लगा जैसे किसी ने गरम लोहे का सरिया मेरी छोटी सी चूत में घुसेड
दिया हो। अब तक मेरी चूत बिल्कुल खुश हो चुकी थी और ऐसा लग रहा था जैसे
किसी कुँवारी लड़की की चूत हो। मुझे दर्द भी होने लगा मगर मुझे मज़ा भी
लेना था। फिर थोड़ी देर बाद मुझको मज़ा आने लगा और मैं भी विशेष को सलाह
देने लगी।
मैं बोली, "छोड़ो मुझे जल्दी करो। ओह तुम बहुत ज़ालिम हो लेकिन बहुत ही
अच्छे भी। आआआआआआहह………..आराम से करो और प्लीज़ अपने लंड पर तेल (ऑयल) लगा
लो, ऐसे सूखा लंड अंदर जाने से तकलीफ़ होती है। आअहह ……….आहम्म……. तुमने
कहाँ से सीखा ये सब बड़ा मज़ा आ रहा है और ऐसा मज़ा कभी भी नही आया मुझे।
तुम रियली एक्सपर्ट हो चोदने मैं। आआआआआआः……….. आराम से एक ही दिन में सब
बर्बाद कर दोगे क्या मुझे घर भी जाना है। मेरे पति ने मुझे ऐसे देख लिया
तो गजब हो जायेगा। मैं उन्हे क्या जवाब दूँगी साले। मैं तुम्हारे
स्वामीजी की प्रिय भक्त हूँ यार कुछ तो रहम करो। फक मी स्लोली……. आअहह…….
गो इजी यार………. प्लीज़, सच्ची कह रही हूँ दर्द हो रहा है।………. टेक इट
ईज़ी………. यार ईज़ी………… आराम से करो ना हाईईईईईईईईई………….."लेकिन विशेष ने
अपनी स्पीड कम नही की क्योकी अब मेरी योनि कुँवारी लड़की की योनि बन चुकी
थी और उसे बहुत मज़ा आ रहा था चोदने में। वो दुगनी स्पीड से मुझे चोदता
जा रहा था।
मैं उससे मिन्नते कर रही थी, "आअहह…… यार आज मैं बहुत टाइट हूँ क्या वजह
है हाईईईईईईईईईईईईई ओईईईईईईई हां मुझे चोदो यार और चोदो आहह। ज़ोर से करो
और ज़ोर से पूरा अन्दर डालो ऊऊउईईई करो और ज़ोर से।"
विशेष रुक रुक कर धक्के मारने लगा। 15 मिनिट बाद मैं झड़ गई लेकिन विशेष
का लंड अभी भी खड़ा ही था। वो पूरे ज़ोर से हिलता रहा। 10 मिनिट बाद मेरी
चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और साथ ही विशेष के लंड से भी पानी निकलने
लगा। उसने अपनी पीठ को कड़ा किया और वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया।
मैने उसे ज़ोर से जकड़ लिया और बोली, "ऊऊओ माआ, इतनी गरम वीर्य। इट इज सो
हॉट एंड वॉर्म……. आअहह अब तो रुक जाओ मेरी निकल चुकी है जानू। बहुत पॉवर
है जनाब मैं ह्ह्हम्म्म्म ……"
विशेष करीब 2 मिनिट तक मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ता रहा। वो थक गया और
मेरे ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद हम उठे तो मैने देखा मेरी टाँगों पर
और पलंग पर खून लगा था। विशेष ने मेरी चूत फाड़ दी थी।
अपनी ऐसी हालत देख के मैं घबरा गई। तो विशेष ने कहाँ, "कोई बात नही, कभी
कभी ऐसा होता है। चलो मैं चलता हूँ स्वामीजी बुला रहे है। तुम भी तैयार
होके आ जाना। अच्छे से धो लेना इसे खून बहना बंद हो गया है।"
मैं इतना थक गई थी की मैं दोबारा सो गयी। दो घंटे के बाद मैं उठी, ओर
बाथरूम गई तो मुझ से चला नही जा रहा था। फिर भी मैने अपने आप को संभाला
ताकि किसी को कोई शक ना हो जाये। में उठी और बाथरूम में गई। मेरी चूत का
होंठ फुल गया था। मुझसे ठीक से चला नही जा रहा था। मैं किसी तरह से दीवार
का सहारा लेकर बाथरूम तक पहुँची।
शावर चालू करके नहाने लग गयी। चूत से अभी तक वीर्य निकल रहा था। मुझे नही
पता वो स्वामीजी का था या विशेष का। मेरी आँखो से आँसू बहने लग गये पिछली
बातो को याद करके। मैने चूत को अच्छे से साफ किया अंदर उंगली डाल-डाल के
खुद को साफ करने के बाद मैने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी।
बाहर स्वामीजी अपने सभी शिष्यो के साथ बैठे थे। जैसे ही में बाहर आई,
स्वामीजी मेरे पास आये। स्वामीजी मुझसे बड़े प्यार से बोले "पूजा सफल
हुई, अभी के लिए दोष दूर हो गया है, तुम चिंता मत करो और रो मत। तेरा काम
हो गया पुत्री। अगर काम हो जाऐ। तो एक किलो लड्डू हनुमान जी को चडाने
ज़रूर आना।"
स्वामीजी ने नम्रता से मेरे आँसू पूछे। प्रसाद बोल के उन्होंने मेरे हाथो
में कुछ मिठाइया दी और कहाँ की वो में खुद भी खाऊ और अपने घर में सबको
खिलाऊ। में 5 बजे वहाँ से निकल के वापस अपने घर आ गयी थी। पुरे टाइम मेरे
मन में विचार आ रहे थे। में सोच नही पा रही थी की क्या यह बात में अपने
पति को बताऊ की नही। में सोचने लगी की अब से में उस स्वामी के पास नही
जाउंगी ।
शाम को जब मेरे पति आये तो वो बहुत खुश लग रहे थे। उन्होने कहा की उन्हे
किसी बड़ी कंपनी मैं मैनेजर की नौकरी मिल गयी और उनकी पगार 50000/- महीने
है। यह बात सुन के में हैरान रह गयी। मैने सोचा की यह तो चमत्कार हो
गया। अब मुझे स्वामीजी पे विश्वास हो गया। अगले दिन से मेरे पति रोज
नौकरी पर जाने लग गये थे। में स्वामीजी के पास गयी और उन्हे खुश खबरी
सुनाई।
उन्होने कहाँ, "यह में जानता ही था, एक बार कल दोष हट गया तो सब ठीक हो
ही जायेगा। अगर तुम चाहती हो की ये ऐसा ही चलता रहे तो तुम अक्सर आती रहा
करो। मैं मन से तुम्हारे लिए पूजन करता रहूँगा।"
में फिर से स्वामीजी की बातो में आ गयी। अब स्वामीज़ हफ्ते में 4 बार
मुझे पूजा के बहाने बुलाते और उसी तरह के नाटक से मुझे चोदते रहते थे। और
में उनकी बातो में आती गयी। घर में सब ठीक होते जा रहा था इसलिए मुझे अब
फरक भी नही पड़ता। उधर अरुण, मेरे पति अपनी नई नौकरी में इतने मशगूल हो
गये की मुझ पे ज़्यादा ध्यान भी नही देते। कभी-कभी मुझे विशेष भी चोदता
है जब स्वामीजी किसी काम में व्यस्त होते है। मेरी चूत का भोंसड़ा बन
चुका है मगर स्वामीजी को मेरी चूत बहुत पसंद आती है।
धन्यवाद …